एनपी डेस्क न्यूज़| Navpravah.com
एनटीपीसी में हुए हादसे में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जबकि सैकड़ों लोगों की बॉयलर फटने से झुलसकर चमड़ी उधड़ गई। इस हादसे के बारे में जो कोई भी सुनता है और तस्वीरें देखता है उसकी आत्मा झकझोर कर रख देती है।
लोगों को सरकार इलाजी और मुआवजी मरहम लगा रही है, लेकिन सवाल ये है कि एनटीपीसी के अधिकारियों को एयर लिफ्ट के जरिये ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एम्स दिल्ली भेजा गया और गरीब मजदूरों को सरकारी अस्पतालों में मरने के लिए छोड़ दिया गया, यहां ये श्रमिक जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं।
एनटीपीसी प्लांट के बाहर सुबह से ही मजूदर और मजदूरों के परिवार के लोग हंगामा कर रहे हैं, उनका आरोप है कि अभी भी हादसे की जगह मलबे में दर्जनों मजदूर दबे हुए हैं। प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, मजदूरों का कहना है कि उनके कई साथी अभी भी लापता हैं।
रायबरेली से लेकर लखनऊ तक के अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है, इस हादसे पर जहां राजनीतिक दल सियासी रोटियां सेंकने के लिए सोच रहे हैं। वहीं सरकार मुआवजे का मरहम मृतकों के घरवालों के लगा रही है।
लखनऊ पुलिस ने आज सुबह 11:00 बजे एनटीपीसी हादसे में झुलसे तीन अधिकारियों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दिल्ली एम्स भेजा। ग्रीन कॉरिडोर के जरिये SIPS से एयरपोर्ट तक ट्रैफिक को पूरी तरह से रोका गया।
रायबरेली एनटीपीसी ऊंचाहार की छठवीं यूनिट में बुधवार दोपहर बाद बिजली उत्पादन के दौरान ब्वायलर की ऐश पाइप में विस्फोट हो गया। लगभग दो सौ से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारी व श्रमिक जलती हुई राख की चपेट में आ गए।