इंद्रकुमार विश्वकर्मा | Navpravah.com
मुंबई बैंक का पुरज़ोर विरोध करनेवाले शिक्षकों की सैलरी यूनियन बैंक से क्यों नहीं दे रहे हैं? ऐसे प्रश्न करते हुए मुंबई हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र शासन को आड़े हाथों लिया। जिला बैंकों की डूबती स्थिति में मुंबई में ही जिला बैंक से सैलरी देने की महाराष्ट्र शासन द्वारा सख्ती क्यों की जा रही है? ऐसा प्रश्न भी मुंबई हाइकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से किया।
शिक्षक भारती के अध्यक्ष अशोक बेलसरे, सुभाष मोरे और जालिन्दर सरोदे द्वारा की गई याचिका (2039/2017) पर न्यायमूर्ति अनूप मेहता व न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ के समक्ष कल सुनवाई हुई। इस संदर्भ में शासन को शुक्रवार तक वस्तुस्थिति की सही जानकारी देने का आदेश हाइकोर्ट ने दिया है।
सिनिअर काैसिंल अॅड. राजीव पाटील, अॅड. सचिन पुंडे व अॅड. मिलिंद सावंत ने युनियन बैंक के 20 हजार शिक्षकों को सैलरी न दिए जाने की बात कोर्ट के सामने रखी व मुंबई बैंक में खाता खोलने के लिए की जानेवाली सख्ती से भी अवगत कराया। सरकारी वकील व मुंबई बैंक के वकीलों ने सरकार के निर्णय का समर्थन किया. त्योहार का समय होते हुए भी शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों को सैलरी न दिए जाने की बात पर न्यायाधीश ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।
शिक्षक भारती के वकील ने न्यायालय के समक्ष शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि मुंबई बैंक ने दबाव डालकर कई शिक्षकों व शिक्षकेतर कर्मचारियों के खाते खोले हैं। बिना केवायसी व शिक्षकों की अनुमति के बगैर खोले गए ऐसे खाते इनवैलिड हैं। इस बात पर न्यायाधीश ने शासन व मुंबई बैंक को फटकारते हुए कहा कि ऐसे इनवैलिड खातों पर बैंक द्वारा सैलरी किस प्रकार प्रदान की गई! शिक्षक भारती ने इस संबंध में पहले ही आरबीआई से शिकायत की है।
कल दिनभर के कामकाज के समाप्त होते-होते शिक्षक भारती के ही केस पर सुनवाई हो पाई। लगभग 1 घंटे दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश ने जुलाई की सैलरी जिन शिक्षकों को नहीं मिली है, उनकी सैलरी यूनियन बैंक से ही किये जाने का शासन को निर्देश दिया।
इस संदर्भ में एक और शिक्षक संघटना द्वारा मुंबई बैंक के विरोध में की गई याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।