सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
व्यभिचार (धारा 497) पर दंडात्मक कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है, पत्नी अगर पति की बजाय किसी दूसरे पुरुष से अवैध संबंध बनाए तो उस पर भी पुरूष की तरह IPC की धारा 497 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
पीठ ने कहा कि चीन, जापान और ब्राजील में व्यभिचार अपराध नहीं है। व्यभिचार अपराध नहीं, लेकिन तलाक़ का आधार हो सकता है, पीठ ने हुए इस धारा को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए इसे गलत ठहराते हुए खारिज कर दिया है।
पांच जजों की संवैधानिक बेंच में सबसे पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस खानविलकर ने अपना संयुक्त फैसला सुनाते हुए आईपीसी की धारा 497 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया है। इसके तहत व्यभिचार में केवल पुरुष को सजा दिए जाने का प्रावधान है, चीफ जस्टिस और जस्टिस खानविलकर ने कहा कि व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता है, दोनों न्यायाधीशों ने कहा, 497 IPC कानून मनमाना है, सही नहीं है।
चीफ जस्टिस ने फैसले में कहा कि, पति पत्नी का मालिक नहीं है, महिला की गरिमा सबसे ऊपर है, महिला के सम्मान के खिलाफ आचरण गलत है, महिला और पुरुषों के अधिकार समान है, वहीं, तीसरे जज जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने भी इस कानून को ग़लत बताया, लिहाजा बहुमत से में ये कानून खारिज करने का फैसला सुनाया गया।