आज शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान केन्द्र से कहा है कि इस निर्णय से जनता को हो रही असुविधा कम करने के लिये हो रहे उपायों की जानकारी दी जाये। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, “हम इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगायेंगे।” पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की,जब कुछ वकीलों ने सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया।
हालाँकि एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं परंतु वह चाहते हैं कि सरकार आम जनता को हो रही असुविधाओं को दूर करने के बारे में स्थिति स्पष्ट करे।
आज सुनवाई के दौरान पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जनता को हो रही असुविधाओं को न्यूनतम करने के लिये अब तक किये गये उपायों और भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल किया जाये। सबसे खास बात यह है कि न्यायालय ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये बगैर ही इस मामले को 25 नवंबर को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
आज हुई सुनवाई के बाद आगे इस तरह की याचिकाओं की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल केंद्र ने एक कैवियट दाखिल कर कहा कि कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अदालत सरकार का पक्ष भी सुने ।
गौरतलब है कि नोट बैन के बाद से पिछले सात दिनों से बैंकों और तमाम एटीएम के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कुछ लोग मोदी सरकार के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। फैसले के बाद से अबतक देश के अलग-अलग इलाकों से कई लोगों की मौत की खबरें भी आई हैं । बहरहाल हालात जैसे भी हों, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आज मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले पर रोक लगाने से मना करने की खबर ने विपक्षियों को जरूर परेशान किया होगा।