शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
अब भारतवासी जाति, धर्म, ऊंच, नीच के भेदभाव से कहीं ऊपर उठकर ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की संस्कृति को पुनः अपनाते नज़र आ रहे हैं। इसी के तहत, योग व सूर्य नमस्कार को शारीरिक स्वास्थ्य का जरिया न समझ, उसे धर्म से जोड़कर लोगों को बांटने वालों के लिए एक बुरी खबर है। मुस्लिम संगठनों की तमाम आपत्तियों के बावजूद अहमदाबाद में मुस्लिम महिलाएं अपने आपको फिट रखने के लिए योग व सूर्य नमस्कार को अपने जीवन का हिस्सा बनाने जा रही हैं।
दरअसल अहमदाबाद में एक गैर-सरकारी संस्था की तरफ से योग कक्षा की शुरूआत होने जा रही है, जिसमें पूरे शहर की करीब 32 मुस्लिम महिलाओं ने अपना दाखिला कराया है। संभवतः यह कक्षा अगले हफ्ते से खानपुर के एक निजी परिसर में शुरू हो जाएगी। एक अन्य सकारात्मक बात यह है कि इसमें कांग्रेस की खानपुर से निगम पार्षद अज़रा कादरी भी यहां पर दाखिला लेनेवाली महिलाओं में शामिल हैं। कादरी ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है और इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
गैर सरकारी संस्था की सदस्य फ़रहत जहान सैयद का मानना है कि योग मुस्लिम महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति और जागरुक करेगा। उन्होंने कहा, “मैं सूर्य नमस्कार करने में कुछ बुरा नहीं मानती हूं क्योंकि यह कोई प्रार्थना नहीं है बल्कि यह 12 आसनों का संयुक्त रूप है।” फ़रहत ने कहा, “ योग एक विज्ञान है जिसका धर्म से किसी तरह का कोई भी लेना देना नहीं है। इसके अतिरिक्त सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम चाहते हैं कि मुस्लिम महिलाएं सामाजिक बंधन को तोड़कर आगे आएं। ” फ़रहत ने बताया कि कक्षाएं तसनीम खंचवाला लेंगी। उन्होंने कहा कि तसनीम योग क्लास चलाती हैं, जिसमें 35 महिलाएं हैं। उनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल उस वक्त विवाद पैदा हो गया था, जब कुछ मुस्लिम धर्मगुरूओं ने योग, खासकर सूर्य नमस्कार पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने उसे इस्लाम के खिलाफ बताया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मो. वली रहमानी ने कहा था कि सूर्य नमस्कार और योग का इस्लाम में कोई स्थान नहीं है, इसलिए केंद्र सरकार योजना बनाकर विद्यालयों के सहारे मुसलमानों पर इसे थोपने का प्रयास न करे।