जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में दशहरे के मौके पर एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) द्वारा रावण की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाए जाने के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के कुछ सदस्यों ने 11 अक्टूबर, दशहरे के दिन मोदी सरकार के कामकाज के प्रति अपनी नाराजगी दिखाते हुए जेएनयू परिसर स्थित साबरमती ढाबे के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया।
इसके बाद इन छात्रों ने योग गुरू रामदेव, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, नाथूराम गोडसे और आसाराम बापू सहित जेएनयू के कुलपति जगदेश कुमार का भी पुतला जलाया था। इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जेएनयू के कुलपति जगदेश कुमार ने ट्वीट किया, “जेएनयू में पुतले जलाए जाने की घटना हमारे संज्ञान में आई है। हम इस मालले में सभी जरूरी सूचनाओं के आधार पर जांच कर रहे हैं।”
इस संबंध में एनएसयूआई की तरफ से छात्र नेता सन्नी धीमान ने कहा, “हमने कैंपस परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया और इसके अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ। जेएनयू में किसी मुद्दे पर विरोध जताने के लिए पुतले जलाना एक सामान्य प्रक्रिया है और इसके लिए किसी की इजाज़त की जरूरत नहीं होती।”
गौरतलब है कि जेएनयू प्रशासन ने कुछ दिनों पहले ही विश्वविद्यालय परिसर में गुजरात सरकार और गौरक्षकों का पुतला जलाए जाने के मामले में चार छात्रों को प्रॉक्टोरियल नोटिस दिया था।
एनसयूआई के सदस्य मसूद ने स्वीकार किया कि जेएनयू की एनएसयूआई यूनिट ने ऐसा किया है। उन्होंने कहा,” हमारा प्रदर्शन वर्तमान सरकार से हमारा असंतोष प्रदर्शित करता है। इसके पीछे विचार यह है कि सरकार से बुराई को बाहर किया जाए और एक ऐसा सिस्टम लाया जाए जो प्रो-स्टूडेंट और प्रो-पीपल हो।”