शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
उत्तर प्रदेश की माया ही निराली है। वहां कब, किसका, कैसे तख्तापलट हो जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता। राज्य में सात चरणों में हो रहे चुनाव के नतीजे आने अभी बाकी ही हैं, लेकिन अभी से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अफसर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मूर्तियों को चमकाने में जुट गए हैं। जी हां! मायावती द्वारा बनवाये गए तमाम स्मारकों की अचानक सफाई व दुरुस्तीकरण शुरू कर दिया गया है। अब अफसरों पर यह रंग नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान का चढ़ा है, या मायावती के सत्तासीन होने का, इस बारे में कह पाना मुश्किल है।
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा बनवाई गई जिन मूर्तियों और पार्कों पर दिन रात मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फब्तियां कसते थे, लखनऊ में मायावती सरकार द्वारा बनवाये गये जिन स्मारकों की अब तक कोई सुध लेने वाला नहीं था, अचानक उन पार्कों और स्मारकों के अच्छे दिन लौटने लगे हैं। अब हर कोई इस गुत्थी को सुलझाने में जुटा है कि कहीं यह बहन मायावती के पुनः आगमन के संकेत तो नहीं! क्या कारण है कि अचानक 5 वर्ष बाद करोड़ों रुपये खर्च कर फिर से पार्कों को चमकाया जा रहा है!
आपको बता दें कि मायावती द्वारा बनवाये गए कई स्मारकों में करीब दो सौ गेट लगाये गये थे। इनमें से कई टूटे गए थे। उनकी भी मरम्मत होनी शुरू हो गयी है। करीब 50 फीसदी गेटों की मरम्मत कर उन्हें दुरुस्त किया जा चुका है। बाकी का काम चल रहा है। टूटी हुई दीवारों का भी दुरुस्तीकरण ज़ोरों पर है। पानी के लिए एक करोड़ की प्लंबरिंग का सामान आ चुका है। गेट और प्लंबरिंग का काम स्मारक समिति की ओर से किया जा रहा है।
अब मायावती की पार्टी सरकार बनाती है या नहीं, यह तो 11 मार्च को ही पता चलेगा, लेकिन उत्तरप्रदेश के अफसर कोई रिस्क लेना नहीं चाहते। मान लीजिए, यदि मायावती की सरकार बनती भी है, तो भी गेंद उनके ही पाले में आयेगी,और यदि नहीं बनती है, तो अभी तो गेंद हाथ में है ही।