अनुज हनुमत,
कल लखनऊ में बसपा संस्थापक कांशीराम की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर बसपा सुप्रीमों मायावती की महारैली ने विधानसभा चुनाव से पहले विरोधियों के खेमे में हलचल मचा दी है। कल भाजपा ने मायावती द्वारा एक रैली में मुस्लिमों के बारे में दिये बयान को लेकर बसपा प्रमुख पर उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार अभियान का सांप्रदायीकरण करने का आरोप लगाया।
पार्टी ने दावा किया कि विकास ही उसका मुख्य चुनावी मुद्दा है, जिस पर लोग भाजपा को वोट देंगे क्योंकि सपा एवं बसपा, दोनों ही इस मामले में विफल रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करने के लिए मायावती को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह निचले स्तर की राजनीति कर रही हैं तथा उनकी टिप्पणी से ‘‘मानसिक दिवालियापन और हताशा’’ झलक रही है, क्योंकि उनका जनाधार खिसक रहा है, जबकि मोदी की लोकप्रियता बढ़ रही है।
उन्होंने मायावती पर टिप्पणी करते हुए आगे कहा कि ‘‘विकास के मामले में वह पूरी तरह सिफर हैं। अब वह राज्य की राजनीति का सांप्रदायीकरण कर रही हैं। किन्तु चुनावी एजेंडा विकास ही रहेगा, जिसमें सत्तारूढ़ सपा तथा बसपा एवं कांग्रेस के पास बताने के लिए कुछ नहीं है। विकास के लिए लोग भाजपा को वोट करेंगे।’’
शर्मा ने उनसे नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी ठिकानों पर किये गये लक्षित हमले पर बोलने से परहेज करने को कहा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सेना की कार्रवाई को लेकर लोगों में बहुत उत्साह है तथा हर कोई सैनिकों की प्रशंसा कर रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि मायावती दलितों के नाम पर धनबल की राजनीति करने के लिए जानी जाती हैं। इसी वजह और उनके अंहकार एवं गलत नीतियों के कारण लोगों ने 2012 में उन्हें अस्वीकार कर दिया था और 2017 में वे फिर ऐसा करेंगे।
मायावती की रैली में जिस कदर भीड़ का आलम था, उसने सूबे के सियासी हलकों में बेचैनी बढ़ा दी है। अब देखना होगा कि बसपा की इस हुंकार रैली का अन्य पार्टियां किस रूप में जवाब देती हैं।