एंटरटेनमेंट डेस्क,
आज के दौर में जिस तरह फिल्मों की सफलता में उनके गीत-संगीत एक अहम भूमिका निभा रहे हैं, उसे देखते हुए फिल्म संगीत की दुनिया से जुड़े लोगों की खुशी का अंदाजा लगाया जाना मुश्किल नहीं है। बेशक फिल्मी संगीत से जुड़े लोग परदे के पीछे रहकर अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं और फिल्म की कमाई तथा कामयाबी में अपना योगदान देते हैं, लेकिन संगीत की भूमिका एवं अहमियत बढ़ने के साथ अब उनका नाम तथा चेहरा भी दर्शकों से अनजान नहीं रह गए हैं।
अपनी काबिलियत के बल पर उन्हें अब वो पहचान मिल रही है जो उन्हें पहले कभी नसीब नहीं हुई। यह स्थिति संगीत की दुनिया से जुड़े उन युवा कलाकारों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है, जो मुंबई में बिना किसी पहचान या गॉडफादर के दम पर देश के दूरदराज के क्षेत्रों से अपना मुकाम बनाने आते हैं।
ऐसे ही युवा कलाकारों में एक नाम विवेक मिश्रा का है, जिनकी पार्श्वगायक के तौर पर पहली हिंदी फिल्म ‘लाइफ की ऐसी की तैसी’ जल्द रिलीज होने जा रही है। निर्देशक एजाज अहमद की इस फ़िल्म में सुनील पाल, जावेद हैदर तथा मुश्ताक खान मुख्य भूमिकाओं में हैं।
इलाहाबाद के रहने वाले विवेक अपनी इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं। वे कहते हैं, “इस फिल्म से मुझे काफी उम्मीद है। मैंने इससे पहले भी कुछ फिल्मों के लिए पार्श्वगायक के तौर पर आवाज दी है, लेकिन ‘लाइफ की ऐसी की तैसी’ रिलीज होने वाले मेरी पहली फिल्म है। मुझे यकीन है, इस फिल्म के बाद मेरे लिए आगे के सफर के नए रास्ते खुलेंगे और मुझे पीछे मुड़कर देखने की ज़रूरत नहीं होगी।”
सॉफ्ट और मेलॉडियस आवाज के मालिक विवेक मिश्रा ने चार साल पहले मुंबई का रुख करने के बाद से अब तक कुछ एक भजन एलबम्स में भी गाया है और कई टीवी कमर्शियल्स को अपनी आवाज दी है। इसके अलावा, उन्होंने ‘सरस्वती चंद्र’ तथा ‘कलश’ जैसे टीवी धारावाहिकों में बैक-वोकलिस्ट के तौर पर अपनी आवाज दी है और देश-विदेश में सैकड़ों म्यूजिकल शो किए हैं।
विवेक ने पद्म विभूषण पंडित रामआश्रय झा, पंडित छन्नूलाल मिश्रा, मून वाशिंगटन तथा पंडित शिवराम शर्मा जैसे संगीतज्ञों से सुरों की शिक्षा ली है और उन्हें उम्मीद है कि क्लासिकल म्यूजिक में उनकी यह ट्रेनिंग उनके करियर को दिशा देने में एक अहम भूमिका अदा करेगी।