शिखा पाण्डेय,
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में वाम गंठबंधन द्वारा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव के पद पर आइसा-एसएफआइ गंठबंधन के कब्ज़ा जमाते ही ‘कन्हैया की बांसुरी’ एक बार फिर बज उठी है। कन्हैया कुमार ने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा है,”नेशन वांट्स टू नो… वाट हैंपनड टू #ABVP इन #JNUSUPolls?” (देश जानना चाहता है.. जेएनयूएसयू चुनावों में एबीवीपी का क्या हुआ?)
पिछली बार संयुक्त सचिव की एक सीट जीतने वाली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का इस बार खाता भी नहीं खुल पाया। आइसा के मोहित पांडे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये, जबकि अमल पीपी ने उपाध्यक्ष, शतरूपा चक्रवर्ती ने महासचिव और तबरेज हसन ने संयुक्त सचिव का पद हासिल किया। यहां तक की काउंसिलर के चुनाव में भी 15 सीटों में से 14 पर आइसा-एसएफआइ गंठबंधन ने कब्जा जमाया। अध्यक्ष चुने गए मोहित यूपी के लखीमपुर खीरी के निवासी हैं। जीत के पश्चात् मोहित ने कहा, “जेएनयू का रिजल्ट पूरे देश के लिए एक संदेश है।”
वाम दल की कड़ी प्रतियोगी एबीवीपी को जेएनयू छत्रसंघ चुनावी परिणामों से ज़बरदस्त झटका लगा, लेकिन हाल ही में गठित बाप्सा ने वाम गंठबंधन को कड़ी टक्कर दी। बाप्सा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार राहुल पुनराम दूसरे स्थान पर रहे।
गौरतलब है कि जेएनयू कैंपस में हाल में हुए विवादों की वजह से इस बार छात्र संघ का चुनाव राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था। छात्र संघ चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार को हुआ था और इस बार चुनाव में रिकॉर्ड 59 प्रतिशत मतदान हुआ था।