सियासत, सरकार, बुंदेलखंड और कैराना मुद्दा

अनुज हनुमत

सबकी अपनी-अपनी रिपोर्ट हैं और सबके अपने अपने दावे। सरकार तो फिर भी सरकार बनी हुई है, लेकिन विपक्ष ऐसे सवेंदनशील मौके पर भी विपक्ष बनने को तैयार नही। चलिए सीधे विषय पर आते हैं। अभी हाल ही में कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह ने एक रिपोर्ट क्या जारी की, मानों पूरे प्रदेश की सियासी बयार ही बदल गई। रिपोर्ट में हुकुम सिंह ने कहा कि कैराना में सांप्रदायिक गतिरोध के चलते लगभग 400-500 हिन्दू परिवारों ने पलायन किया। जैसे ही ये खुलासा हुकुम सिंह ने किया वैसे ही यूपी के सियासी गलियारों में हवायें सर्द हो गई। इस मौके पर चौका मारने के लिए हर पार्टी ने अपने कुछ विशेष नेताओं की आपातकाल बैठक बुलाई और उन्हें सभी जरुरी बातें सिखाई। अभी तक तो सभी पार्टियों के नेताओं ने इस प्रशिक्षण का काफी हद तक फायदा उठाया है।

विपक्ष की नेता और बसपा सुप्रीमो मायावती का कहना है कि भाजपा आने वाले चुनाव से पहले प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाना चाहती है और इस काम में सपा उसका साथ दे रही है। मायावती का कहना है कि प्रदेश की ये वर्तमान सरकार गुंडागर्दी और बाहुबलियों की सरकार है और कैराना के पलायन के लिए बुन्देलखण्ड जैसे हालात ही जिम्मेदार हैं, जिसमे सबसे बड़ा कारण ‘भुखमरी’ और ‘बेरोजगारी’ है। मौजूदा सरकार का मानना है कि ऐसा कोई कारण नही है और ये सब भाजपा की ओछी राजनीति का ही परिणाम है।

इस मामले में स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कैराना के पलायन में अभी हमें शुरूआत में आर्थिक कारण ही समझ आ रहे हैं। यानि कैराना के विषय पर न तो विपक्ष एक है और न ही मौजूदा सरकार। लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि यूपी में अगले विधानसभा के चुनावों की विसात बिछ चुकी है और राजनीतिक शतरंज के इस खेल में हर कोई बाजी मारना चाहता है। अगर हम बुन्देलखण्ड की बात करें तो पिछले पंद्रह सालों में लगभग 62 लाख लोगों ने पलायन किया है। यहाँ के लोगो के पलायन करने का मुख्य कारण कर्ज, बेरोजगारी और भुखमरी है लेकिन हम दहशत और खौफ के कारण को भी झुठला नहीं सकते हैं। कैराना की सच्चाई कुछ भी हो लेकिन दर्द बुन्देलखण्ड जैसा ही है। अपनों से बिछड़ने का दर्द, अपने घर-द्वार छोड़ने का दुःख।

इससे एक बात तो स्पष्ट है कि ये सब वोट बैंक की गंदी राजनीति का नतीजा है, जो अपने ही देश में एक नई खाईं पैदा करने में आमादा है! जिसे अगर समय रहते नही समझा गया तो इसमें पूरा देश समा जायेगा। एक दूसरा तथ्य ये भी हो सकता है कि सूखे ने किसानों की कमर तोड़ रखी है और बाकी का काम महंगाई कर रही है। कैराना की एक सच्चाई ये भी हो सकती है कि ये कुछ ऐसे कारण है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र से पलायन शुरू हो गया हो। कारण कुछ भी हो, ऐसे विषय एक अजीब सा संदेह पैदा करता है, इसलिए हो सकता है कि आने वाले दिनों में कैराना जैसी स्थिति वाले और भी कई शहर, गाँव सामने आ सकते हैं।

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