अमित द्विवेदी,
भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य न बनाया जाए, इसलिए चीन रोज़ एक नया राग अलापता नज़र आ रहा है। इस बार चीन ने भारत-पाक के परमाणु संतुलन की बात के आधार पर भारत को एनएसजी में शामिल न करने की बात कही है। चीन के एक आधिकारिक मीडिया समूह ने कहा कि यदि भारत को इस विशिष्ट समूह में शामिल किया जाता है तो भारत और पाकिस्तान का परमाणु संतुलन बिगड़ जाएगा।
जबसे भारत को एनएसजी में शामिल करने की बात हो रही है, पाकिस्तान और चीन के होश ही उड़े हुए हैं। चीन और पाकिस्तान हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि भारत को इस समूह से दूर ही रखा जाए। ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक़, एनएसजी में भारत का प्रवेश ‘दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन को हिला देगा और साथ ही इससे पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता पर संकट के बादल भी मंडराने लगेंगे।’ हालांकि इस लेख में यह भी स्पष्ट है कि चीन 48 सदस्यों वाले परमाणु क्लब में भारत को शामिल किए जाने का स्वागत कर सकता है, बशर्ते यह ‘नियमों के साथ हो’।
चीन के इस रवैये से भारत और चीन के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। क्योंकि एनएसजी में भारत सदस्य को लेकर सबसे ज़्यादा विरोध चीन की तरफ से ही देखने को मिल रहा है। हालाँकि पाकिस्तान भी कई देशों से भारत के विरोध की बात कर रहा है, जो इस समूह के सदस्य हैं।
खबरों की मानें तो चीन इसलिए ज़्यादा चिंतित है कि यदि भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल जाती है तो उसका मित्र राष्ट्र पाकिस्तान पीछे छूट जाएगा। एक हिंदी डेली की मानें तो इसी मान मनौव्वल की फेहरिस्त में दो और नाम टर्की और न्यूज़ीलैंड का नाम भी जुड़ गया है। टर्की जहां पाकिस्तान के सहयोग में है वहीं न्यूज़ीलैंड भारत के समर्थन में नज़र आ रहा है।