जम्मू और कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से हुए गैंगरेप मामले में पीड़ित पक्ष की वकालत कर रही वकील दीपिका राजावत को परिवार ने केस से हटा दिया है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि, पठानकोट की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रोजाना सुनवाई हो रही है, लेकिन वकील दीपिका राजावत पिछले पांच महीनों में महज दो या तीन बार ही कोर्ट में उपस्थित हुई हैं।
वहीं पीड़ित परिवार के इन आरोपों पर वकील दीपिका राजावत का कहना है कि वह ब्लेम गेम में नहीं पड़ना चाहती हैं, उन्होंने उल्टा पीड़ित बच्ची के पिता पर ही आरोप लगाते हुए कहा है कि, बच्ची का पिता ही कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ और उन्होंने मेरे खिलाफ ही एप्लीकेशन दे दी।
दीपिका राजावत का कहना है कि, मेरे बच्चे हैं, हेल्थ, कमिटमेंट की वजह से मुझे कोर्ट में उपस्थित होने में दिक्कत हो रही थी, यहां से कोर्ट की दूरी 150 किमी है, मैं वकील भी हूं, जम्मू में मेरा पेड वर्क भी इससे प्रभावित होता है, लोगों को भी ये समझना चाहिए।
उनका कहना है मैं दो-तीन बातें बोलना चाहूंगी, बच्ची का केस स्टेट केस है, इसमें राज्य की ओर से दो सरकारी वकील भी नियुक्त किए गए हैं, अगर पिता ये एप्लीकेशन देता है तो इसको बारीकी से देखने की जरूरी है, उन्होंने सवाल उठाया कि केस में बच्ची के पिता कोर्ट में कितनी बार उपस्थित हुए हैं।
दीपिका ने अप्रैल में कहा था, मेरा भी रेप हो सकता है या हत्या भी करवाई जा सकती है, शायद मुझे कोर्ट में प्रैक्टिस न करने दी जाए, हिंदू विरोधी बताकर मेरा बहिष्कार किया गया है।
उन्होंने कहा कि अगर उनके साथ ऐसा बर्ताव होता है तो यह हर भारतीय के लिए शर्म की बात होगी, एक बच्ची के साथ इतनी दरिंदगी के बाद भी न्यायिक प्रक्रिया में जो कोई भी रुकावट पैदा कर रहा है वह इंसान कहलाने के लायक ही नहीं है।