अनुज हनुमत,
आज देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीवनी किसी कहानी से कम नहीं है। आज हर व्यक्ति को उनके बारे में जानने की स्वाभाविक इच्छा है।
आज हमारे बीच स्वामी विवेकानंद तो नही हैं, लेकिन मौजूदा समय में भारत माता के पास एक और नरेंद्र है और दोनों में कई समानताएं हैं। इसीलिए मुझे गीतगार शैलेन्द्र की लिखी ये पंक्तियाँ याद आ रही हैं कि
“फिर जन्मूँगा उस दिन जब आज़ाद बहेगी गंगा,
मैया उन्नत भाल हिमालय पर जब लहराएगा तिरंगा
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे….”
भारत माता अपनी गुलामी और दुर्दशा पर उस समय रो रही थीं, जब उसे स्वामी विवेकानंद मिले और भारत माता भ्रष्टाचार और मंदी की मार से उस समय कराह रही थीं, जब उसे नरेंद्र मोदी मिले। यह एक सुखद संयोग ही है कि नरेन्द्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानन्द का वास्तविक नाम) और नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (देश के वर्तमान प्रधानमंत्री) दोनों के नाम, विचार और कार्य में अदभुद समानता है। ऐसा लगता है मानो स्वामी विवेकानंद पिछले जन्म से दोगुनी आयु लेकर नरेंद्र मोदी के रूप में पुनर्जन्म ले लिए हों। दोनों ने ही अमेरिका जाकर धूम मचाई।
१७ सितम्बर सन १९५० में जन्मे नरेन्द्र दामोदरदास मोदी देश के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें २६ मई २०१४ को भारत के १५वें प्रधानमन्त्री के रूप में पद की शपथ दिलायी। वो इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं, उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने २०१४ का लोकसभा चुनाव लड़ा और २८२ सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी से वो सांसद चुने गए हैं।
स्वामी विवेकानंद और नरेंद्र मोदी के विचारों के बीच बहुत समानता है। नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में वैश्विक भाईचारे के स्वामी विवेकानंद के संदेश का स्मरण करते हुए कहा था कि ‘अगर उनके संदेश पर अमल किया जाता तो विश्व को अमेरिका पर 11 सितंबर के आतंकवादी हमले जैसे कृत्यों का साक्षी नहीं बनना पड़ता।’ वैश्विक भाईचारे का संदेश स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर सन 1893 को शिकागो में विश्व धर्म संसद के अपने बहुचर्चित संबोधन में दिया था। स्वामी विवेकानंद ने हमारे देश के समृद्ध इतिहास और मजबूत सांस्कृतिक जड़ों की तरफ समूचे संसार का ध्यान आकर्षित किया था और वैश्विक भाईचारे का भारत का सुसंदेश समूचे संसार को दिया था। नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद के विचारों को व्यवहारिक रूप से क्रियान्वित कर रहे हैं।
स्वामी विवेकानंद ने अपने छोटे से जीवनकाल में कई बार विदेशों की यात्रा की। इसके अलावा उन्होंने पूरे देश में पैदल भ्रमण किया। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के एक साल के भीतर ही इतनी यात्राएं कर लीं कि पिछले सभी प्रधानमंत्रियों से ज्यादा यात्रा करने वाली शख्सियत बन गए।
नरेंद्र मोदी माँ भारती के धरातल की सोंधी मिट्टी से बने और जुड़े़ व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्हें यह बताने में कभी शर्म महसूस नहीं होती है कि बचपन में उन्होंने रेलगाड़ी के डिब्बों में चाय बेचने का भी काम किया है, बल्कि बड़े गर्व के साथ वे बचपन में अपने पिताजी और परिवार की किस तरह मदद करते थे, यह बात जरुर बताते हैं।