नई दिल्ली. देश में लंबे समय से बिक्री का संकट झेल रहे इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर केंद्र सरकार बड़ा तोहफा दे सकती है। इस पर टैक्स 12 से घटाकर पांच फीसदी किया जा सकता है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक में इस पर मुहर लगने की संभावना है। फेम 2 में सब्सिडी के पैमाने बदले जाने से इलेक्ट्रिक गाड़ियां महंगी हो गई थीं जिसके बाद इन गाड़ियों की बिक्री न के बराबर हो रही थी।
सूत्रों ने हिंदुस्तान को बताया है कि जीएसटी दरें घटाने का प्रस्ताव को एजेंडा में शामिल किया गया है। 21 जून की बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ चर्चा के बाद इस बारे में फैसला ले लिया जाएगा। प्रस्ताव के मुताबिक, इन गाड़ियों पर लगने वाले मौजूदा 12 फीसदी टैक्स को घटाकर पांच फीसदी किया जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह पहली जीएसटी बैठक होगी।
अनुमान के मुताबिक, अगर जीएसटी की दरें घटा दी गईं तो स्कूटर और इलेक्ट्रिक बाइक में करीब 5 हजार रुपये और कारों में एक लाख रुपये तक की कमी देखने को मिल सकती है। साथ ही केंद्र सरकार के फेम 2 कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियों की तरफ से भी देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल के क्षेत्र में निवेश बढ़ सकता है। हर राज्य में जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन करना और राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण का कार्यकाल बढ़ाने की मंजूरी दी जा सकती है।
सरकारी और प्राइवेट लॉटरी की दरें एक जैसी करने पर फैसला मुश्किल है। लॉटरी पर बने वित्त मंत्रियों के समूह में आम सहमति नहीं बन पाई है। सरकारी लॉटरी पर 12 फीसदी और प्राइवेट लॉटरी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है।
पेट्रोल-डीजल वाहनों को राहत की उम्मीद कम
पिछले कुछ महीनों से बिक्री में लगातार गिरावट झेल रहे ऑटोमोबाइल सेक्टर को राहत मिलने की उम्मीद बेहद कम है। पेट्रोल-डीजल चालित वाहनों की बिक्री में लगातार कमी आई है। ऑटोमोबाइल सेक्टर ने बिक्री में लगातार आ रही गिरावट को लेकर सरकार से टैक्स दरें घटाने और प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है।
वित्त मंत्री से मुलाकात कर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बनाने वाली कंपनियों ने टैक्स घटाने की मांग की है। इंडस्ट्री की मांग है कि एसी, फ्रीज और 32 इंच से कम के टीवी पर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी टैक्स लगाया जाए। इंडस्ट्री की दलील है दाम कम होने से बिक्री बढ़ेगी और सरकार की आय में भी इजाफा होगा। मौजूदा दौर में छोटे कारोबारियों और एक्सपोर्टर्स को टैक्स के चलते कारोबार में आ रही मुश्किलों को दूर करने के मकसद से दरें घटाई जा सकती है।