शिखा पाण्डेय,
रियो ओलंपिक से पहले भारत के लिए एक और बुरी खबर आई है। ओलंपिक में 36 साल बाद क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले पुरूष फर्राटा धावक बने धरमवीर ने कल रात रियो की फ्लाइट नहीं ली। प्राप्त जानकारी के अनुसार उसका कारण यह है कि 200 मीटर के रनर धरमवीर सिंह पिछले महीने प्रतिस्पर्धा के भीतर हुए टेस्ट में प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के दोषी पाये गए हैं।
ऐसी अटकलें हैं कि 11 जुलाई को बेंगलूर में इंडियन ग्रां प्री मीट के दौरान राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा लिये गए उनके ए नमूने में अनाबॉलिक स्टेरॉयड पाया गया है, हालांकि नाडा या भारतीय एथलेटिक्स महासंघ ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है।
धरमवीर को कल रियो रवाना होना था लेकिन उन्हें रुकने के लिये कहा गया। सूत्रों के अनुसार नाडा ने उनसे पूछा है कि क्या वह अपने बी नमूने की जांच कराना चाहते हैं? अब यदि वे इसके लिए तैयार होते हैं तो उनके पास प्रक्रिया पूरी करने के लिये सात दिन का समय है।
उल्लेखनीय है कि धरमवीर को 2012 में इंटर स्टेट चैम्पियनशिप में 100 मीटर की दौड़ का गोल्ड मेडल गंवाना पड़ा था जब उन्होंने जरूरी डोप टेस्ट नहीं दिया था। अब यदि नमूना बी भी पॉजीटिव पाया गया तो उनका ओलंपिक से बाहर रहना तय हो जायेगा और ऐसे में दूसरा अपराध होने के कारण उन पर आठ साल का बैन भी लग सकता है। खेल मेडिसिन विशेषज्ञों के अनुसार वाडा की नई आचार संहिता के तहत आजीवन प्रतिबंध का प्रावधान नहीं है और अधिकतम सजा आठ साल की है।
धरमवीर ने बेंगलूर में चौथी इंडियन जीपी में 20.45 सेकंड का समय निकाला था जबकि ओलंपिक के लिये क्वालीफिकेशन का स्तर 20.50 सेकंड था। उनके इस प्रदर्शन से कई हलकों में संदेह जताया गया था क्योंकि पिछले कुछ समय से उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं था और वह राष्ट्रीय शिविर की बजाय रोहतक में अपने निजी कोच के साथ अभ्यास कर रहे थे।
इससे पहले शॉटपुट खिलाड़ी इंदरजीत सिंह और पहलवान नरसिंह यादव भी डोप टेस्ट में नाकाम रहे लेकिन नाडा की डोपिंग निरोधक अनुशासन समिति ने नरसिंह को यह कहकर क्लीन चिट दे दी कि वह साजिश का शिकार हुए हैं।