अनुज हनुमत,
खंडवा (मप्र): मप्र के सबसे विवादित एंकाउंटर केस में एक अजीबोगरीब तस्वीर देखने को मिली है। दरअसल, पिछले महीने भोपाल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए पांच सिमी कार्यकर्ताओं की कब्रों पर शहीद दर्शाने वाले शिलालेखों को पुलिस ने कल रात सफेद रंग पोतकर मिटवा दिया।
इन शिलालेखों पर इनको महिमामंडित करने के मकसद से उनकी मौत को शहादत बताया गया था। आनन फानन में पुलिस ने ये कार्य किया। इसके बाद खंडवा के पुलिस अधीक्षक महेन्द्र सिंह सिकरवार ने पत्रकारों से कहा, ‘हमने इस बात को मुस्लिम समुदाय के बुजुर्ग लोगों के साथ उठाया और उन्होंने ही कब्रों की शिलाओं पर लिखे शहादत शब्दों पर रंग पोतकर उन्हें मिटाया।’ सूत्रों ने बताया कि भोपाल मुठभेड़ में मारे गए पांच सिमी सदस्यों की कब्रों पर लगाई गई शिलाओं पर उर्दू एवं हिन्दी में लिखे इस्लामिक शहादत के शब्दों के साथ-साथ कुछ अन्य शब्दों को कल रात मिटा दिया गया है।
आपको बता दें कि जिन पांच सिमी सदस्यों की कब्रों के शिलालेखों से इनको महिमामंडित करने के शब्दों को मिटाया गया है, उनके नाम अमजद खान, जाकिर हुसैन, मोहम्मद सलीक, शेख महबूब एवं अकील खिलजी हैं। गौरतलब हो कि ये पांचों सिमी आतंकी उन आठ सिमी विचाराधीन कैदियों में शामिल थे, जिन्होंने 30-31 अक्तूबर की रात को उच्च सुरक्षा वाली भोपाल केन्द्रीय जेल से कथित रूप से एक सुरक्षा गार्ड की हत्या कर फरार हो गए थे।
पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 31 अक्तूबर को ये आठों सिमी सदस्य भोपाल के बाहरी इलाके में मारे गए थे। इसके बाद से पुलिस इस कार्यशैली को लेकर भी खूब विवाद हुआ। आठों सिमी सदस्यों में से पांच खंडवा के रहने वाले थे। इसके बाद 2 नवंबर की रात तकरीबन 11 बजे खंडवा के रहने वाले इन पांच सिमी सदस्यों के शवों को यहां बड़ा कब्रिस्तान में तनाव के बीच कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ दफनाया गया था। इस दिन इनके जनाजे में 2,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। कुछ स्थानों पर भगदड़ जैसी स्थिति को रोकने के लिए तब पुलिस को उन लोगों को खदेड़ना भी पड़ा था, जो इन सिमी सदस्यों के शवों को देखने पहुंचे थे ।
बहरहाल, ये जाँच का विषय है कि भोपाल पुलिस द्वारा किया गया ये एंकाउंटर सही है या गलत! लेकिन अपराधियों का पक्ष लेना अब कुछ राजनीतिक दलों के चलन में आ गया है।