चुनाव चिह्न मामले में क्यों खामोश रहे मुलायम!

अनुज हनुमत | Navpravah.com

कल चुनाव आयोग ने महीनों से चले आ रहे समाजवादी कुनबे के विवाद पर बड़ा फैसला देते हुए साईकिल चुनाव चिह्न को अखिलेश यादव गुट के हवाले कर दिया। समाजवादी पार्टी में मुलायम और अखिलेश के बीच जारी जंग में चुनाव आयोग से मुलायम गुट को करारा झटका लगा है। आयोग ने सोमवार को पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को देने का फैसला सुनाया। इस पूरे विवाद के बीच सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि मुलायम सिंह यादव चुनाव चिह्न को लेकर ज्यादा आक्रामक नही दिखें! जानकारों का मानना है कि हो सकता है मुलायम सिंह यादव खुद भी यह चाहते थे कि चुनाव चिह्न बेटे को ही मिले और वही पार्टी का प्रतिनिधित्व करे।

गौरतलब हो कि कल फैसला आते ही अखिलेश यादव की चुनाव आयोग में पैरवी करने वाले वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि चुनाव आयोग ने कई नजरियों से जांच पड़ताल के बाद ये फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि मुलायम गुट चुनाव आयोग के निर्देशों के हिसाब से दस्तावेज नहीं पेश कर पाए। उनके पास अपनी बात साबित करने के सबूत नहीं थे। फ़िलहाल निर्वाचन आयोग ने सोमवार को चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को लेकर पिता-पुत्र (मुलायम-अखिलेश) के बीच चल रही खींचतान के बीच फैसला अखिलेश के पक्ष में सुनाया। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने साइकिल चुनाव चिह्न अखिलेश को दिया है और पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष माना है।

दरअसल जब से समाजवादी कुनबे में विवाद शुरू हुआ है, तब से मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश पर किसी भी फैसले को लेकर ‘मुलायम’ ही दिखें है। शायद इसीलिए पांच साल पहले मुलायम सिंह यादव ने बेटे के हाथों में सूबे की बागडोर सौंप दी थी।

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