BHU बवाल: दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “नवरात्रि में बरसा दी लाठियां! शर्म करो”

अनुज हनुमत । Navpravah.com

नई दिल्ली । बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में कथित छेड़खानी के विरोध में और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही छात्राओं पर कल देर रात पुलिस के लाठीचार्ज पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल किया है कि क्या ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ केवल एक नारा है?’ इतना लिखने के बाद दिग्विजय सिंह यहीं नही रुके उन्होंने टि्वटर एक के बाद एक कई ट्वीट किए।

दिग्विजय सिंह ने ट्वीट के ज़रिए स्पष्ट किया कि, ‘‘बीएचयू की छात्राओं पर बर्बर लाठीचार्ज की मैं निंदा करता हूं, उनकी मांग केवल सुरक्षा थी, क्या यह मांग अनुचित थी?’’ आगे उन्होंने लिखा है, ‘‘मोदी और योगी को यह मांग मानने में क्या एतराज हो सकता है? ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ केवल एक नारा ही है क्या?’’

दिग्विजय ने ट्वीट करते हुए लिखा ‘‘हम हिन्दू तो नवरात्रि में कन्या भोज कराते हैं, उनके पैर छूते हैं,? दान देते हैं, यह हिन्दुओं का धर्म है और परम्परा है और यह हिन्दुत्व के तथाकथित ठेकेदार कन्याओं पर लाठी बरसा रहे हैं । वह भी मालवीय जी द्वारा स्थापित बनारस (काशी) हिन्दू विश्वविद्यालय में और मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में शर्म करो।’’ उन्होंने अपने अंतिम ट्वीट में भाजपा नेताओं की कड़ी आलोचना की। फिलहाल अभी तक दिग्विजय सिंह के बयान पर भाजपा की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

आपको बता दें कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में गुरुवार को हुई कथित छेड़खानी के विरोध में धरना प्रदर्शन के बाद बीती रात पूरा परिसर छावनी में तब्दील हो गया। शनिवार की रात कुलपति आवास के पास पहुंचे छात्र और छात्राओं पर विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया जिसमें कुछ विद्यार्थी घायल हो गए।

बीएचयू की परेशान छात्राओं का कहना है कि पुलिस ने उन पर भी लाठीचार्ज किया। इसके बाद छात्रों का गुस्सा भड़क उठा और उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। सभी विद्यार्थी संस्थान में गुरुवार को हुई कथित छेड़खानी के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे थे।

इधर विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह ने बताया कि कुलपति ने हालात के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय को दो अक्टूबर तक बंद रखने का आदेश दिया है। उन्होंने घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया है। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी अराजक तत्व हैं, जो छात्राओं को आगे कर संस्थान की गरिमा को धूमिल करना चाहते हैं।

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