एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
दिल्ली की आधा दर्जन सरकारी कॉलोनियों में रीडेवलपमेंट के नाम पर 16 हजार से ऊपर पेड़ काटने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने स्टे को बरकरार रखा है, कोर्ट ने कहा कि पेड़ काटने की तमाम अनुमतियां और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को लेकर अपनी पूरी रूपरेखा अगली सुनवाई में कोर्ट के सामने पेश की जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद साउथ दिल्ली के इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या और बढ़ जाएंगी, साथ ही पानी की निकासी को लेकर भी समस्याएं और गहरी हो सकती हैं।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह के प्रोजेक्ट में पेड़ों को तो काट दिया जाता है, लेकिन नए पेड़ों को लगाने के वादे को भुला दिया जाता है, लिहाजा जो पेड़ कट जाते हैं, उनके एवज में नई जगह प्लांटेशन नहीं हो पाता है।
इस मामले में अगली सुनवाई अब 20 अगस्त को होगी, यह सुनवाई एनबीसीसी के लिए भी बेहद अहम होगी क्योंकि एनबीसीसी को अपने प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई तमाम जानकारियां और कंस्ट्रक्शन को मिली अनुमति की सारी बारीकियों को कोर्ट के साथ साझा करना होगा।
एनबीसीसी पिछले कुछ वक्त से सरोजिनी नगर, नेताजी नगर, त्यागराज नगर, प्रगति मैदान और किदवई नगर में दो मंजिला पुरानी सरकारी इमारतों को तोड़कर बहुमंजिला इमारतें बना रही है, इसके लिए इन इलाकों के पेड़ों को एनबीसीसी काट रहा था, लेकिन कुछ एनजीओ और स्थानीय लोगों के कोर्ट में याचिका लगाने के बाद पेड़ों की कटाई पर दिल्ली हाईकोर्ट और एनजीटी दोनों ने ही स्टे लगाया हुआ है।