अनुज हनुमत|Navpravah.com
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में कर्मकांड और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नमाज़ पढ़ाने पर रोक लगाने के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि संविधान किसी भी धर्म की ग्रहण करने पर रोक नहीं लगाता।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। शाश्वत आनंद व पांच अन्य छात्रों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कर्मकांड व नमाज पढ़ाने की वैधता को चुनौती दी थी । याचिका में कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत सरकारी विश्वविद्यालय को धार्मिक पूजा पद्धति की शिक्षा देने का अधिकार नहीं है ।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अरुणा राय केस का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है । संविधान धर्म के बारे में जानकारी लेने पर रोक नहीं लगाता । प्रत्येक व्यक्ति को अपने व अन्य धर्मों के बारे में जानकारी लेने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याची यह नहीं बता सके कि विश्वविद्यालयों में ऐसा क्या पढाया जा रहा है जो संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसी के साथ कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है ।