राहुल का ‘राम बाण’, ‘एडवाइजर्स ब्लॉक’ बचाएगा पार्टी की इज़्ज़त

शिखा पाण्डेय,
दिन दुगुनी रात चौगुनी बढ़ती मुसीबतों के समाधान हेतु कांग्रेस ने अंततः एक नया तरीका ढूंढ निकाला है। लगातार पार्टी छोड़कर जा रहे वरिष्ठ नेताओं से पार्टी को हुई क्षति की पूर्ति हेतु राहुल गांधी ने नया तरीका ढूंढा है। पार्टी ने एक ‘एडवाइजर्स ब्लॉक’ का गठन करने का सुझाव दिया है। जिसमें 10 नेता और उद्योगपतियों को शामिल किया जाएगा, जो पार्टी के अहम मुद्दों पर फैसला लेंगे।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस को हाल में ही एक के बाद एक तीन बड़े झटके लगे हैं। महाराष्ट्र के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुरुदास कामत ने मंगलवार को पार्टी से इस्‍तीफा दे कर राजनीति से संन्‍यास लेने का एलान कर दिया। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी ने कांग्रेस छोड़ नई पार्टी बना ली और त्रिपुरा के 6 बागी कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को टीएमसी ज्वाइन करने का लेटर दे दिया। यही नहीं, हाल ही में 4 राज्यों में भी पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल का ‘एडवाइजर्स ब्लॉक’ भाजपा के संसदीय बोर्ड जैसा होगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता भले इसकी शक्ति को लेकर सवाल उठा रहे हों, परंतु पार्टी की तमाम दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए राहुल ने वेलफेयर रिफॉर्म्स और ट्राइबल राइट्स जैसे मुद्दे सुलझाने के लिए एडवाइजर्स ब्लॉक बनाने का सुझाव दिया है। राहुल का मानना है कि ये ब्लॉक पार्टी में नई जान फूंकेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस एडवाइजर्स ब्लॉक में उद्योगपतियों के साथ-साथ एक्टिविस्ट भी होंगे। राहुल इसमें पी. चिदंबरम और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी शामिल करना चाहते हैं। इस ब्लॉक के जरिए राहुल एक सामूहिक नेतृत्व का उदाहरण पेश करना चाहते हैं। इस नई टीम का ऐलान 11 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद कभी भी किया जा सकता है।

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