शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बेहद करीबी और विश्वासपात्र रहे उनके ड्राइवर कर्नल निजामुद्दीन का आज निधन हो गया। 117 वर्षीय निजामुद्दीन लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में आज भोर में चार बजे के करीब उन्होंने अपने पैतृक गांव मुबारकपुर में आखिरी सांस ली।
कर्नल निजामुद्दीन नेताजी द्वारा बनाए गए इंडियन नेशनल आर्मी के सदस्य थे। निजामुद्दीन नेताजी के साथ बर्मा में साल 1943 से साल 1945 तक साथ रहे थे। उन्होंने साल 1942 में आजमगढ़ से सिंगापुर भागकर ब्रिटिश सेना ज्वाइन कर ली थी, लेकिन बाद में नेताजी के आह्वान पर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। निजामुद्दीन नेताजी के ड्राइवर के साथ-साथ उनके बॉडीगार्ड भी थे। 1944 में नेताजी की रक्षा करते हुए उन्हें एक गोली भी लगी थी। निजामुद्दीन बताया करते थे कि 20 अगस्त 1947 को बर्मा में छितांग नदी के पास नेताजी को उन्होंने आखिरी बार नाव पर छोड़ा था। उसके बाद उनकी मुलाकात नहीं हुई।
निजामुद्दीन उर्फ सैफुद्दीन की पत्नी अजबुनिशा भी 107 साल की हैं। उनके परिवार में पत्नी अजबुनिशा के अलावा 3 बेटे व 2 बेटियां हैं। गांव में वो अपनी पत्नी और छोटे बेटे शेख अकरम के साथ रहते थे। उनका एक बेटा सऊदी अरब में और दूसरा मुंबई में रहता है।
साल 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी ने बनारस में कर्नल निजामुद्दीन का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। निजामुद्दीन के छोटे बेटे ने अपने पिता को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलाने की बहुत कोशिश की मगर उसे सफलता हाथ नहीं लगी।