एनपी न्यूज़ डेस्क|Navpravah.com
सोशल मीडिया के जमाने में दोस्तों से ऑनलाइन चैटिंग और ग्रुप्स में जोक्स भेजने का सिलसिला लगातार जारी रहता है। फेसबुक और व्हाट्सअप के जरिए हंसी मजाक से दोस्तों से कनेक्ट रहना हर किसी को पंसद आता है अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो एक बार फिर से सोच लीजिए क्योंकि ऐसा करने से आपको जेल जाना पड़ सकता है। हाल ही में बिहार के दरभंगा जिले में जिस तरीके से सोशल मीडिया में आपत्तिजनक वीडियो, फर्जी वीडियो और भ्रामक समाचार और तथ्य प्रेषित करने की वजह से जातीय और धार्मिक उन्माद का खतरा बढ़ गया है, उसको देखते हुए दरभंगा पुलिस ने अब सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए कुछ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
दरभंगा पुलिस का कहना है कि WhatsApp और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जूठे तथ्य और फर्जी वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। जिसकी वजह से धार्मिक उन्माद की स्थिति को नियंत्रित करने में दरभंगा पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
दरभंगा प्रशासन द्वारा दिए गए आदेशों के मुताबिक किसी भी तरह की अभद्र, भ्रामक, अश्लिल और अफवाह फैलाने वाले मैसेज के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषी माना जाएगा। प्रशासन का कहना है कि ग्रुप एडमिन को पता होना चाहिए कि आखिरकार कौन सा मैसेज सही है और कौन सा अफवाह। इस तरह की पोस्ट को निकटतम पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट किया जाना चाहिए ताकि कानून के तहत सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की जा सकें।
जानिए क्या लिखा है दरभंगा पुलिस द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश में
- ग्रुप एडमिन वही बने जो उस ग्रुप के लिए पूरी तरीके से जिम्मेदारी लेने को तैयार हो।
- अपने ग्रुप के सभी सदस्यों का ग्रुप एडमिन से पूर्ण परिचय होना चाहिए।
- ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा गलत बयानी, बिना पुष्टि के समाचार जो अफवाह बन जाए पोस्ट किए जाने पर या सामाजिक समरसता बिगाड़ने वाले पोस्ट पर ग्रुप एडमिन को तत्काल उसका खंडन कर सदस्य को ग्रुप से हटाना पड़ेगा।
- अफवाह, भ्रामक तथ्य, सामाजिक समरसता के विरुद्ध तथ्य पोस्ट होने पर संबंधित थाना को भी तत्काल सूचना दी जानी चाहिए।
- ग्रुप एडमिन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें भी इसका दोषी माना जाएगा और उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
- दोषी पाए जाने पर आईटी एक्ट, साइबर क्राइम और IPC की धाराओं के तहत कार्यवाही की जाएगी।
- किसी भी धर्म के नाम पर भावनाओं को आहत करने वाले पोस्ट किसी भी ग्रुप में डाले जाने पर समाज में तनाव उत्पन्न होने की संभावना रहती है। ऐसे पोस्ट करने या किसी अन्य ग्रुप को फॉरवर्ड करने पर आईटी कानून और आईपीसी की धाराओं के आधार पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अफवाह फैलाने वाले मैसेज पर कार्रवाई का फैसला लिए जाने के बाद प्रशासन की ओर से स्पष्ट किया गया है वो लोगों के सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर रोक नहीं लगा रहे हैं बल्कि सिर्फ ये समझाना चाहते हैं कि मौज-मस्ती के साथ उनके समाज के प्रति कुछ दायित्व भी हैं।