जन्मदिवस विशेष: दिल-ओ-दिमाग पर छाया है किशोर का जादू

अनुज हनुमत,

“कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना”

किशोर कुमार का ये गाना आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था। आज मौजूदा समय में गानों का स्टाइल चाहे जितना भी क्यों न बदल गया हो लेकिन आज भी किशोर कुमार के गाने उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कल थे। अनगिनत गानों को आवाज देने वाले किशोर कुमार महज एक बेहतरीन गायक ही नहीं, बल्कि एक क़ाबिल निर्माता-निर्देशक और अभिनेता भी थे। आज ही के दिन 04 अगस्त  1929 को उनका जन्म हुआ था। पूरा विश्व आज उन्हें याद कर रहा है।

किशोर अब हमारे बीच नही हैं, लेकिन उनके गाये गाने आज भी हर आम आदमी के ह्रदय में हैं। भारतीय सिनेमा के सबसे मशहूर पार्श्वगायकों में से एक किशोर कुमार, एक लाजवाब गायक होने के साथ साथ एक अच्छे अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। हिन्दी फ़िल्म उद्योग में उन्होंने बंगाली, हिंदी, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं में गाया था। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीते और उस श्रेणी में सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। उसी साल उन्हें मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर पुस्कार से सम्मानित किया गया था। जिंदगी के हर क्षेत्र में मस्तमौला रहने वाले किशोर कुमार के लिए उनकी लव लाइफ भी बड़ी अनोखी थी। प्यार, गम और जुदाई से भरी उनकी जिंदगी में चार पत्नियां आईं।

singer

किशोर कुमार इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़े थे और उनकी आदत थी कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। वह ऐसा समय था जब 10-20 पैसे की उधारी भी बहुत मायने रखती थी। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के पाँच रुपया बारह आना उधार हो गए और कैंटीन का मालिक जब उनको अपने एक रुपया बारह आना चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर ही टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे। बाद में उन्होंने अपने एक गीत में इस पाँच रुपया बारह आना का बहुत ही खूबसूरती से इस्तेमाल किया।

एक गायक और अभिनेता होने के साथ किशोर कुमार ने लेखक, निर्देशक, निर्माता और संवाद लेखक तक की भूमिका निभाई। सिर्फ हिन्दी ही नहीं बंगाली, मराठी, गुजराती, कन्नड़ जैसी कई फिल्मों में भी उन्होंने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। एक बेहतरीन गायक होने के साथ किशोर कुमार को उनकी कॉमेडी के लिए आज भी याद किया जाता है। बिना संगीत सीखे इस इंसान ने हिन्दी संगीत जगत में एक अलग मुकाम बनाया। किशोर कुमार का जीवन भी किसी फिल्मी किरदार से कम नहीं, बिना पैसा लिए काम न करने वाले इस गायक ने कई बार युवा संगीतकारों की मदद की और नए फिल्मकारों के लिए मुफ्त में गाने भी गाए। उनके अभिनय को फिल्मकार फिल्मों में ज्यादा उतार तो नहीं पाए, लेकिन उनकी आवाज आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। आज भी उनकी सुनहरी आवाज़ लाखों संगीत के दीवानों के दिल में बसी हुई है और उसका जादू हमारे दिलों दिमाग़ पर छाया हुआ है। आज अगर किशोर कुमार जिन्दा होते तो 87 वर्ष के होते।

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