एंटरटेनमेंट डेस्क,
पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल को संस्कृत श्लोकों के प्रचार-प्रसार में सराहनीय योगदान के कारण डी. वाय. पाटिल यूनिवर्सिटी के पांचवे दीक्षांत समारोह में “डी. लिट“ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। यह समारोह 30 दिसम्बर शुक्रवार को संपन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता कुलपति विजय भटकर जी ने की।
“डी. लिट“ की मानद उपाधि ग्रहण करने के बाद अनुराधा पौडवाल ने कहा कि यह गौरवशाली पल मैं आपके साथ बांट रही हूँ। आज का सम्मान भावनाओं से परिपूर्ण है और यह क्षण इसलिए भी खास है, क्योंकि आज मेरा परिवार भी मेरे साथ है जिन्होंने हर प्रतिकूल परिस्थिति में मेरा साथ दिया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अपने जीवन के सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण समयों में मेरे सबसे ज्यादा हिट गीत आए। जब मुझे म्यूजिकल हिट्स के लिए लगातार फिल्म फेयर पुरुस्कार मिल रहें थे, तब मैंने फिल्म संगीत को छोड़ने का निर्णय लिया और अंत में मुझे यह सम्मान तब मिला जब मै अपने संगीत कॅरियर के शिखर पर नहीं हूँ। मेरी जीवनयात्रा में सेवाभाव का ही सबसे ज्यादा योगदान रहा है, एक बेटी, एक पत्नी, एक माँ, एक बहन होने के नाते मुझे अपने परिवार की सेवा से सबसे ज्यादा संतुष्टि मिली है।
उन्होंने आगे कहा कि एक गायिका होने के नाते अपने श्रोताओं के साथ भी मेरा कुछ दायित्व था, जिसे मैंने एक अच्छे कलाकार के रूप में सदैव अच्छा संगीत देने के आधार पर निभाया है। मुझे ईश्वर ने वह कला दी, जिसके माध्यम से मैने उनके भक्तों को भक्ति संगीत के द्वारा ईश्वर वंदना से रूबरू कराने में योगदान दिया है और आज जब मैंने किसानों तथा धरती माता के लिए कुछ किया है तो ईश्वर ने मेरी पीठ थपथपाने का निर्णय लिया। यह उपाधि मै अपने पिताजी को समर्पित करती हूँ। मै जानती हूँ कि जिस तरह से यह जीवन चल रहा है तो मुझे लगता है कि स्वर्ग में मेरे सास – ससुर, आत्या तथा अरुण जी मुझे देखकर अपना आशीष दे रहें है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर प्रकाश बी. बेहरे ने कहा कि अनुराधा जी को दुर्गा सप्तशती, शिव महिमा स्त्रोत, भगवद गीता और अन्य धार्मिक ग्रंथों के संस्कृत श्लोकों को लोकप्रिय बनाने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए इस उपाधि से समान्नित किया गया है।