अनुज हनुमत,
इलाहाबाद। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र नेताओं और विवि प्रशासन के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। विवि प्रशासन द्वारा कठोर निर्णय लेते हुए जिस तरीके से अनुशासनहीनता के आरोप में आठ छात्रों पर कार्यवाही की गई, जिसमें चार छात्र नेताओं का निष्कासन और बाकी चार छात्र नेताओं को निलम्बित किया गया उसने कैम्पस के माहौल में एक बार फिर अस्थिरता पैदा कर दी है ।
मौजूदा छात्र संघ अध्यक्षा ऋचा सिंह ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं और प्रवेश परीक्षाओं में हुई धांधली को लेकर आन्दोलन कर रहे छात्रों के निष्कासन एवं निलंबन की छात्रसंघ घोर निंदा करता है। जिस तरह से छात्रसंघ उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह एवं अन्य दो पदाधिकारियों का निष्कासन किया गया है, यह पूरी तरह से न सिर्फ अलोकतांत्रिक है बल्कि नियमों के विपरीत भी है।
उन्होंने आगे कुलपति महोदय को आड़े हाथों लेते हुये कहा कि बिना छात्रों का पक्ष सुने उन पर इस तरह की कार्यवाही कुलपति की तानाशाही का प्रमाण है, जिसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
छात्र संघ अध्यक्षा ऋचा सिंह ने कहा कि यह छात्रसंघ की गरिमा पर प्रहार है और छात्रसंघों के अस्तित्व को कुलपति द्वारा ख़त्म करने को कोशिश की जा रही है। जिस तरह से अभी छात्रसंघ अध्यक्ष द्वारा भेजी गयी शिकायतों पर PMO, एवं महिला आयोग से विश्वविद्यालय से जवाब माँगा गया है, उससे विश्वविद्यालय प्रशासन बौखलाया हुआ है और यह सब कुलपति द्वारा आनन फानन में छात्र आंदोलन को तोड़ने एवं छात्रों को दबाव में लेने के लिए कार्यवाही की जा रही है, जो बेहद निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि अभी पिछले शुक्रवार को छात्रसंघ अध्यक्ष ने राज्य मानव संसाधन विकास मंत्री श्री महेंद्र नाथ पाण्डेय से मिलकर उन्हें विश्वविद्यालय में चल रही अनिमितताओं की जानकारी दी और साक्ष्यों को उपलब्ध कराया गया है। छात्रसंघ को आश्वासन मिला है और जल्द ही कुलपति समेत विवादित रजिस्ट्रार, विवादित प्रवेश परीक्षा निदेशक पर कार्यवाही होने जा रही है। आगे उन्होंने कड़े अंदाज में प्रतिक्रिया देते हुए कहा की अगर विश्वविद्यालय प्रशासन तत्काल रूप से छात्रसंघ पदाधिकारियों समेत सभी छात्रों का निष्कासन एवं निलंबन वापस नहीं लेता तो छात्र उग्र आन्दोलन करेंगे।