इलाहाबाद: अपने ही देश के विद्यालय में 12 साल से बैन है राष्ट्रगान, विरोध करने पर शिक्षकों को किया बाहर

अनुज हनुमत

इलाहाबाद। अभी हाल ही में बुन्देलखण्ड के बांदा जिले से एक सरकारी विद्यालय में राष्ट्रगान पर पाबंदी लगाने का मामला सामने आया था। शिक्षा के मन्दिर में ऐसी घटना ने पूरे देश को शर्मसार किया था और अब देश के स्वाभिमान से जुडी ऐसी ही एक घटना सामने आई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक स्कूल में राष्ट्रगान गाने पर ही प्रतिबंध लगा हुआ है।

कथित तौर पर स्कूल के मैनेजर ने कहा है कि वह स्कूल में राष्ट्रगान गाने नहीं देंगे, क्योंकि राष्ट्रगान में ‘भारत भाग्य विधाता’ के ‘भारत’ शब्द से हमें आपत्ति है। मैनेजर जियाउल हक का कहना है कि भारत, हमारे भाग्य का विधाता कैसे हो सकता है, भाग्य का विधाता तो सिर्फ ईश्वर/अल्लाह है। इस वजह से हम गाने नहीं देंगे। जो हमारे धर्म इस्लाम के भी खिलाफ भी है।

प्रबंधन के इस फैसले से नाराज़ स्कूल की प्रिंसिपल समेत 8 शिक्षकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। इस्तीफ़ा देने के बाद ही यह अजीबो गरीब मामला मीडिया के सामने आया ।

पत्रकारों से बात करते हुए स्कूल के मैनेजर ने कहा कि राष्ट्रगान में ‘भारत भाग्य विधाता’ के ‘भारत’ शब्द से उन्हें आपत्ति है, जब तक राष्ट्रगान में इस पंक्ति में भारत नहीं हटाया जाता, वह स्कूल में राष्ट्रगान गाने नहीं देंगे। राष्ट्रगान की एक लाइन पर उन्हें गहरा ऐतराज है, जिसकी वजह से वह स्कूल में राष्ट्रगान को नहीं गाने दे सकते।

मैनेजर की मानें तो राष्ट्रगान में भारत भाग्य विधाता का गान करना इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि अल्लाह के सिवाय और कोई उनका भाग्य विधाता नहीं हो सकता है। आपको बता दें कि देश में यह अपने आप में एक अनोखा स्कूल है, जहां स्कूल की स्थापना के बाद पिछले 12 साल से कभी राष्ट्रगान नहीं गाया गया। स्कूल की स्थापना के साथ ही इसमें यह तुगलकी फरमान आज भी जारी है कि यहां राष्ट्रगान नहीं गाया जाएगा।

स्कूल की प्रिंसिपल और उसके साथ की 8 शिक्षिकाओं ने जब इसके खिलाफ आवाज उठाई तो प्रबंधन ने उन्हें स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। मामला प्रशासन के पास पहुँचने के बाद प्रशासन ने आनन फानन में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं, उसका कहना है कि जांच के बाद स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शुरुआती जाँच में प्रशासन ने पाया कि इस विद्यालय की नर्सरी से आठवीं तक सरकार से कोई मान्यता ही नहीं प्राप्त है। अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन स्कूल प्रबन्धन के ऊपर क्या कार्यवाही करता है।

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