अनुज हनुमत,
वैेसे आम जनता के दुःख दर्द बाँटने के मामले में यूपी के सीएम अखिलेश यादव को काफी संवदेनशील माना जाता है, लेकिन पुखरायां के रेल हादसे के बाद अखिलेश यादव का जो चेहरा जनता ने देखा उसके बाद तो सभी सन्न रह गए। ज्यादातर लोगों ने कहा कि आखिर इतने असंवेदनशील कैसे हो गए मुख्यमंत्री अखिलेश!
आपको बता दें कि, अभी कुछ दिन पहले कानपुर के पुखरायां में भयानक रेल हादसा हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग कालकवलित हो गये। इस रेल हादसे के बाद से लगातार राहत एवं बचाव कार्य जारी हैे। रेलवे के जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 150 लोगों की जान जा चुकी है, वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हादसे के बाद जहां रेल मंत्री से लेकर मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज चौहान तक घटनास्थल का दौरा कर चुके हैं वहीं, अब तक सीएम अखिलेश घायलों से मिलने नहीं पहुंचे हैं। इसको लेकर पीड़ितों का कहना है कि जब 700 किमी से शिवराज पहुंच सकते हैं, तो अखिलेश क्यों नहीं!
कानपुर हादसे के एक पीड़ित का कहना था, अगर 700 किमी से मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह आ सकते हैं, तो सीएम अखिलेश 80 किमी से क्यों नहीं पहुंच सकते। एक और पीड़ित प्रियंका का कहना था कि सीएम को हमसे मिलने आना चाहिए था, इससे शायद यहां काम और तेजी से होता।
गौरतलब हो कि, हादसे के बाद अखिलेश ने लखनऊ से ही मीडिया में रेल दुर्घटना को लेकर बयान दिया। सीएम ने दो बार मीडिया से बातचीत करके कहा कि हमने सभी अधिकारियों को जरूरी सुविधाएं और राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। लेंकिन इन सब बातों से इतर अगर राजनीतिक पंडितों की मानें, तो कहीं न कहीं अखिलेश अपनी ही राजनीति का शिकार हो गए। क्योंकि राजनीति में आम आदमी की पीड़ा को दरकिनार नहीं किया जाता।
अखिलेश करना तो कुछ और चाहते हैं, लेकिन हो कुछ और रहा है। ये मानवता की दृष्टि से भी गलत हुआ है। अखिलेश ने अभी अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की है, लेकिन उन्हें अपनी प्राथतिकताओं को चुनना होगा। इस मामले में वे कहीं पीछे हो गए हैं, जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब आने वाले समय में अपनी सफाई में कुछ भी कहें, लेकिन रेल दुर्घटना के बाद उनका मौके वारदात और अस्पताल न पहुँचने के कारण उनकी छवि को गहरा धक्का लगा है। ऐसे कठिन समय जनता को अपने मुखिया की आवश्यकता होती है, लेकिन अगर मुखिया ही असंवेदनशील होकर मुंह फेर के तो फिर इससे दुखद क्या होगा!