शिखा पाण्डेय,
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अब रिश्तों की भी राजनीति शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब प्रश्न उठाया है कि जब सारे लोग मायावती को ‘बहनजी’ कहते हैं तो मैं उन्हें ‘बुआ’ ना कहूं तो क्या कहूं?
दरअसल 21 अगस्त को आगरा में आयोजित रैली के दौरान बीएसपी अध्यक्ष ने गेस्ट हाऊस कांड का जिक्र करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उन्हें बुआ कहने का कोई अधिकार नहीं है। वह उन्हें बुआ न कहें।उनके शासनकाल में महिलाओं पर प्रदेश में अत्याचार बढ़े हैं। बुलंदशहर गैंगरेप जैसी घटनाएं इसका उदाहरण मात्र है।
मायावती के ‘बुआ’वाले बयान के जवाब में बुधवार को सदन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि बीएसपी के लोग सदन के भीतर या बाहर उन्हें बहन जी कहते थे, इसलिए हम उन्हें बुआ जी कहते हैं। अब यह उन्हें पसंद नहीं है। वह ही हमें बताएं कि हम उन्हें क्या बोलें?
मुख्यमंत्री ने कहा, “वे अपनी पार्टी को बचा नहीं पा रही हैं और सपा सरकार को बर्खास्त करने की मांग करते हुए थक नहीं रही हैं। जब से समाजवादी पार्टी की सरकार बनी है, तब से बस एक ही मांग कर रही हैं कि यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। अब तो जनता भी उनकी उसी पुरानी घिसी-पिटी मांग से त्रस्त हो चुकी है।”
यही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी पर पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र ने किसानों को राहत का पूरा पैसा नहीं दिया। इसलिए उन्हें अनुपूरक बजट लाना पड़ा। बीजेपी को यहां धरना देने के बजाए संसद को घेरना चाहिए।