शिखा पाण्डेय । Navpravah.com
लंबे समय से चल रही राष्ट्रपति पद की खोज को कल, अर्थात सोमवार को पूर्ण विराम, व देश को अपना चौदहवां राष्ट्रपति मिलने वाला है। सोमवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। देश के अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए सोमवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग होगी। चुनाव से संबंधित सामग्री, जैसे मतपेटी, मतपत्र, पेन समेत अन्य सामग्रियां विधानसभा पहुंच चुकी हैं। इन सामग्रियों को कड़ी सुरक्षा के बीच विधानसभा के 751 नंबर कक्ष में रखवाया गया है और इसी कक्ष में ही मतदान भी होगा।
विधानसभा में मतदाताओं यानि विधायकों को किस तरह से मतदान करना है, उसके बारे में जानकारी देने का तरीका बताने वाले पोस्टर भी लगाए गए हैं, ताकि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी ना हो। वोटिंग के दौरान किस तरह से क्या सावधानियां रखनी हैं, यह जानकारी भी उन पोस्टर्स द्वारा दी गई है। इसके अतिरिक्त मत पत्र के लिए पेन भी दिए गए हैं। ये पेन निर्वाचन विभाग ने ही दिए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो सके।
चुनाव संपन्न होने के बाद मतपेटी को कड़े सुरक्षा घेरे में विधानसभा से एयरपोर्ट तक ले जाया जाएगा, वहां से फ्लाइट में दिल्ली के लिए मतपेटी को लोकसभा में ले जाकर जमा करवाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। राजग के अलावा कुछ अन्य राजनीतिक दल भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस नीत विपक्ष दलों ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को इस चुनाव में कोविंद के सामने उतारा है।
जानें कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव-
-भारत में राष्ट्रपति का चुनाव परोक्ष निर्वाचन द्वारा होता है। अर्थात, जनता अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि देश के लिए राष्ट्रपति चुनते हैं। देश का राष्ट्रपति इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा चुना जाता है, जिसमें लोकसभा, राज्यसभा और अलग अलग राज्यों के विधायक होते हैं।
-भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में एक विशेष तरीके से वोटिंग होती है। इसे ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम’ कहते हैं। वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकी से वोट देता है। यानी वह बैलेट पेपर पर यह बताता है कि उसकी पहली पसंद कौन है, दूसरी कौन है व तीसरी कौन है।
– वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों की वेटेज भी अलग अलग होती है। यह वेटेज राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होती है।
– भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। राष्ट्रपति वही बनता है, जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे।
– सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुने गए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। अब इस सामूहिक वेटेज को लोकसभा के चुने हुए सांसदों और राज्यसभा की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इस तरह जो अंक मिलता है, वह एक सांसद के वोट का वेटेज होता है। अगर इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो, तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।
– काउंटिंग के वक़्त सबसे पहले सभी मतपत्रों पर वोटरों द्वारा दर्ज पहली प्राथमिकता के वोट गिने जाते हैं। यदि पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए जरूरी मत हासिल कर ले, तो उसकी जीत मान ली जाती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो फिर दूसरी वरीयता की गिनती की जाती है।