अनुज हनुमत,
केंद्र सरकार द्वारा आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का ऐलान करने के बाद से पूरे देश में नोटबंदी पर एक बहस छिड़ गई है। केंद्र सरकार के इस फैसले को अभी दस दिन का समय हुआ है, अब जाकर देश में स्थिति धीरे धीरे सामान्य हो रही है।
संसद से लेकर सड़क पर चलते लोग केवल इसी मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन जहां विपक्षी दल मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं भाजपा अपनी सरकार के इस फैसले के पक्ष में है। आठ नवंबर के बाद से अब तक यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
शुक्रवार को चुनाव आयोग ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि बैंकों में नोट बदलने आ रहे लोगों की उंगुली पर अमिट स्याही ना लगाई जाए। स्याही लगाने के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने चिंता जाहिर की है और पत्र में लिखा है कि कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, यह स्याही उन लोगों की उंगुली पर लगाई जाती है, जो एक बार वोट डाल चुके होते हैं। ऐसे में यह एक समस्या पैदा हो जाएगी। देखना होगा वित्त मंत्रालय चुनाव आयोग के इस पत्र का क्या जवाब देता है।
गौरतलब हो कि एक न्यूज चैनल से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री वैंकया नायडू ने विपक्षी दलों की उस मांग को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें विपक्षी दल चाह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में आकर नोटबंदी के मामले पर बात करें। नायडू ने कहा कि पीएम मोदी जब जरूरत होगी, तभी बोलेंगे।
गुरुवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बदलने का फैसला वापस लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। फिलहाल चुनाव आयोग के पत्र ने वित्त मंत्रालय की चिंता बढ़ा दी है । अब देखना होगा कि सरकार चुनाव आयोग को क्या जवाब देती है।