नारायणसिंह@नवप्रवाह
गम्भीर बीमारियों से पीड़ित दिव्यांग और लम्बे समय से अति दुर्गम व दुर्गम स्थलों पर तैनात शिक्षकों के स्थानान्तरण सम्बन्धी आवेदन पत्रों पर कोई सुनवाई न होने वाले प्रकरणों पर राज्यपाल डॉ कृष्ण कांत पाल ने गम्भीर रुख़ अख्तियार किया है। उन्होंने इस संदर्भ में विभागीय कार्यप्रणाली पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हुए, इसे असंवेदनशील व्यवहार बताया है।
राज्यपाल ने सचिव (शिक्षा) को सख्त निर्देश दिये हैं कि ऐसे सभी प्रकरणों पर पूरी पारदर्शिता के साथ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। जनशिकायतों की सुनवाई के दौरान इस तरह के कई प्रकरण राज्यपाल के संज्ञान में लाये गये, जिनमें गम्भीर रोगों से ग्रस्त होने तथा शारीरिक रूप से अशक्त होने के पर्याप्त साक्ष्यों के बावजूद अति दुर्गम और दुर्गम स्थलों में बरसों से तैनात शिक्षकों के स्थानान्तरण विषयक आवेदनों पर विभाग द्वारा कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
सिविल सचिवालय में जन समस्याओं की सुनवाई के दौरान राज्यपाल के समक्ष राजकीय मेडिकल काॅलेज, श्रीनगर गढ़वाल के संविदा कर्मियों का प्रकरण भी लाया गया। मेडिकल काॅलेज संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष द्वारा राज्यपाल से निवेदन किया गया कि मेडिकल काॅलेज में पांच वर्ष की संविदा सेवा पूर्ण कर चुके कर्मियों को नियमित किया जाये।
राज्यपाल ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को इस संदर्भ में परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये हैं।
राजकीय वाहन चालक महासंघ सहित अन्य कई संगठनों ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर अपनी माँगें व समस्यायें उनके समक्ष रखी। व्यक्तिगत समस्याओं को लेकर भी कई लोगों ने राज्यपाल से भेंट की, जिनके निस्तारण के संदर्भ में राज्यपाल द्वारा सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये गये हैं।
उत्तराखण्ड मुक्त विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ नागेश्वर राव ने भी राज्यपाल से शिष्टाचार भेंट की और उन्हें विश्वविद्यालय की प्रगति और गतिविधियों से अवगत कराया।