AmitDwivedi@Navpravah.com
लेखकों के सम्मान लौटाने वाले मामले में अब साहित्यकारों के अलावा फ़िल्म इंडस्ट्री का भी सहयोग मिलना शुरू हो गया है। अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के बाद अब मशहूर लेखक गुलज़ार ने भी लेखकों के सम्मान लौटाने का समर्थन किया हैं। गुलज़ार ने कहा कि देश ने ऐसा भय का माहौल पहले कभी नहीं देखा था।
गुलज़ार ने लेखकों के सम्मान लौटाने की प्रक्रिया को सही ठहराते हुए कहा कि लेखकों की आवाज़ दबाई नहीं जानी चाहिए। जिस तरह से पिछले कुछ समय में ऐसा माहौल पैदा हुआ है, उसमें लेखकों द्वारा उठाया गया कदम साहसिक एवं सही है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के सम्मान लौटाने के मामले में वह पहले कुछ उलझन में थे, लेकिन अब वह उनके दर्द के साथ हैं। उन्होंने कहा, कि मैं भी एक लेखक हूँ इसलिए मैं लेखकों का दर्द समझ सकता हूँ। देश में जो एक डर का माहौल है, उससे विचलित होना स्वाभाविक है। मैंने हिन्दुस्तान में ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा।
गुलजार ने लेखकों की दिक्कतों का सारा ठीकरा सरकार पर फोड़ते हुए कहा कि लेखकों की स्थिति के लिए सरकार ही ज़िम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि लेखक समाज की चेतना को जगाने वाले लोग हैं। वह बेचारा क्या राजनीति करेगा।