सौम्या केसरवानी,
नोटबंदी के 24 दिन बीत गए हैं। व्यवस्था के नाम पर सरकार के सभी इंतजाम, बदइंतजामी में तब्दील होते नजर आ रहे हैं। अाज भी बैंको के बाहर अफरा-तफरी का माहौल कायम है। इसी चलते रोजाना बड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना कानपुर देहात के झींझक इलाके में सामने आई है।
झींझक ब्लाक सरदारपुर गांव निवासी सर्वेशा पत्नी स्व. जसमेर नाथ ने बैंक की लाइन में एक बच्चे को जन्म दिया है। वह झींझक स्थित पंजाब नेशनल बैंक में लोहिया आवास की पहली किस्त निकालने आई थी। गरीबी के चलते सर्वेशा को लोहिया आवास आवंटित किया गया था। निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए वह तीन दिनों से पीएनबी बैंक के चक्कर लगा रही थी।
शुक्रवार को सुबह तकरीबन ग्यारह बजे गर्भवती महिला सर्वेशा अपनी सास शशीदेवी के साथ झींझक की पंजाब नेशनल बैंक में पैसा लेने पहुंची। लेकिन बैंक के बाहर लंबी कतार लगी थी। दोनों बैंक के बाहर जाकर बैठ गई। जैसे ही बैंक खुला जमा भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी।
सास ने कुछ देर इंतजार किया लेकिन भीड़ बढ़ती गई। सास ने लोगों से फरियाद कर बहू को बैंक के अंदर जाने के लिए रास्ता देने को कहा। लोगों को सर्वेशा की हालत का हवाला भी दिया, मगर उसे अनसुना कर दिया गया। बमुश्किल वह बैंक के कैश काउंटर तक पहुंची लेकिन उसे लाइन में लगने को कह दिया गया।
इसके बाद सास और बहू को मजबूरन बैंक लाइन में लगकर इंतजार करना पड़ा। साढ़े ग्यारह से तीन बज गए। दोनों भूखी-प्यासी लाइन में खड़ी रही।
साढ़े तीन बजे सर्वेशा को अचानक तेज पीड़ा शुरू हो गई। इस पर हड़कंप मच गया। गर्भवती दर्द से कराहने लगी। और जमीन पर लेट गई। यह देख अन्य महिलाएं मदद को आगे आई। काफी दर्द सहने के बाद महिला ने बैंक के बाहर एक बच्चे को जन्म दिया। तब जाकर बैंक मैनेजर को इत्तला हुई। बाद में मैनेजर ने पुलिस जीप से मदद लेकर जच्चा-बच्चा को उनके घर पहुंचाया।