सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
2018 का आम बजट 1 फरवरी को पेश होने वाला है। ऐसे में देश की महिलाओं को भी बजट से बहुत उम्मीदें हैं। इस बार बजट में हर वर्ग के लिए क्या खास होगा, ये तो जरूरी है ही, साथ ही इस बार महिलाओं और गृहणियों के लिए आम बजट 2018-19 में क्या स्पेशल होगा, इस पर भी नजर रहेगी।
पिछले बजट में सरकार ने महिलाओं को ‘शक्ति’ प्रदान की थी। उनके विकास और सुरक्षा के नाम पर करीब 1.84 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था। यहां तक कि सस्ते घर उपलब्ध कराए गए, राशन की बढ़ती कीमतों पर भी लगाम लगाने की कोशिश कर महिलाओं को राहत देने की कोशिश की गई, ताकि वो अपना घर चला सकें। इस बार महिलाओं का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए महिला सुरक्षा, महिलाओं के लिए सबसे जरूरी मुद्दा है। इसलिए महिलायें चाहती हैं कि सरकार महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे।
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए पिछली बार से ज्यादा बजट तय किया जाए। सिर्फ तय ही नहीं, बल्कि उसे लागू भी किया जाए और इस बात का ध्यान रखा जाए कि ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक फायदा मिले। पिछले बजट में सरकार ने निर्भया फंड की घोषणा की थी, लेकिन महिला सुरक्षा की स्थिति वैसी ही बनी हुई है। इसलिए इस बार महिलाओं का कहना है कि सरकार निर्भया फंड के लिए इस बजट में ज्यादा धन आवंटित करे।
क्या है निर्भया फंड-
दिल्ली में 2012 में निर्भया कांड हुआ था। आज भीे उसे याद करते हुए रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि किस तरह एक लड़की के साथ कुकृत किया गया था और बाद में उस लड़की ने अस्पताल मे अपना दम तोड़ दिया था। हालांकि निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे किए गए। निर्भया फंड भी बनाया गया। फंड की शुरुआत 2013 से की गई। इसके तहत केंद्र सरकार की ओर से हर वर्ष 1 हजार करोड़ रुपये इस फंड को दिए जाते हैं।
दावा किया गया था कि इस फंड से रेप विक्टिम की फैमिली की आर्थिक मदद की जाएगी। शुरुआत में हर ओर यह दावे किए गए कि इस फंड से चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। अस्पतालों में अलग से रेप विक्टिम के चेकअप आदि की व्यवस्था करने की बात की गई थी। इसके अलावा रेप विक्टिम के उपचार के लिए भी खर्चा देने की बात कही गई थी।
केंद्र सरकार की ओर से इस फंड को किस काम में खर्च करना है, इसका जिम्मा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को दिया गया। निर्भया फंड की नोडल अथॉरिटी के तौर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को यह पूरी छूट है कि देश के किस राज्य को महिला उत्थान व सुरक्षा के लिए कितनी रकम देनी है।