कोरोना वायरस पर बिल्कुल सटीक बैठती है हिंदी साहित्य के कवि रहीम की ये पंक्तियां

हिंदी साहित्य के भक्त कवि रहीम ने कहा है कि- रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।।

कोरोना के सन्दर्भ में रहीम की उपरोक्त पंक्तियाँ पुर्णतः सार्थक प्रतीत हो रही हैं। कोरोना का प्रारंभ चीन के वूहान शहर से हुआ है, चीनी सरकार युद्ध स्तर पर इस महामारी से लड़ रही है, भारत सहित अनेक पूर्वी देश संकट के इस समय में चीन के साथ खड़े हैं वहीँ पश्चिमी मीडिया कोरोना के सम्बन्ध में विद्वेषपूर्ण विष वमन कर रही है, जो सर्वथा अनैतिक एवं अमानवीय है।

कोरोना महामारी सुरसा की मुख की तरह बढ़ते हुए वैश्विक स्तर पर 92 हज़ार लोगों को संक्रमित कर चुकी है जिसमें से अकेले 80 हज़ार संक्रमित व्यक्ति केवल चीन में है, इस संक्रमण से विश्व में 3000 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। चीन सरकार कोरोना पर नियंत्रण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और एक सीमा तक इस पर काबू भी प्राप्त कर लिया है। चीन में कोरोना की वजह से उद्योग धंधा बंद है, लोग काम पर नहीं जा रहे हैं, सभी अपने अपने घरों में दुबके पड़े हैं। चीन में विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक सभी बंद है, लेकिन पठन-पाठन ना रुके इसके लिए वहां ऑनलाइन कक्षा आयोजित की जा रही है, विद्यार्थी अपने घर से ही मोबाइल पर कक्षा में शामिल हो कर अध्ययन जारी रख सकते है, बहुत से विदेशी शिक्षक जो अपने स्वदेश लौट गए हैं, वे वहीँ से ही ऑनलाइन कक्षा के माध्यम से चीनी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं।

शीघ्र ही चीन इस महामारी पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त स्थापित कर लेगा, पश्चिमी मिडिया को इस संद्दर्भ में अपनी सहयोगात्मक भूमिका निभानी चाहिए थी परन्तु दुर्भाग्य से ऐसा होता हुआ नहीं प्रतीत हो रहा है। कोरोना वायरस पर अमेरिकी वाल स्ट्रीट जर्नल में छपे आलेख में चीन को “दक्षिण एशिया का बीमार देश” कहा गया है, क्या इस संकट की घड़ी में ऐसी वैचारिक दिवालियापन शोभा देता है? वालस्ट्रीटजर्नल की भूमिका पक्षपातपूर्ण दिखाई पड़ रही है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत की आधिकारिक यात्रा पर थे, नई दिल्ली के शाहीन बाग़ में मुस्लिम महिलाएं दो महीने से सीएए के विरोध में बैठी है, जिसकी परिणति ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान दंगों के रूप में हुई, आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के नेतृत्व में अंकित शर्मा को मुस्लिम दंगाइयों ने उनका अपहरण कर 400 बार चाकुओं से गोद गोद कर मार दिया, बलिदानी अंकित शर्मा के भाई ने हत्या का मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन को बताया लेकिन वाल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि “जय श्री राम” की घोष करती हुई भीड़ ने अंकित शर्मा का अपहरण किया। वाल स्ट्रीट जर्नल की पत्रकारिता का यह गिरता स्तर विश्व शांति के लिए शुभ नहीं है, यदि हम संकट की घड़ी में किसी की सहायता नहीं कर सकते तो विद्वेषपूर्ण विष वमन भी नहीं करना चाहिए, और अपनी पत्रकारिता के स्तर को संदेह के घेरे में नहीं लाना चाहिए। विश्व की लगभग आधी जनसँख्या भारत-चीन में रहती है, विश्व की आधी आबादी के प्रति वाल स्ट्रीट जर्नल की नकारत्मक सोच एवं उनके पत्रकारिता का गिरता हुआ स्तर सोचनीय है।

भारत चीन के मुख्य पड़ोसी देशों में एक है, संकट की इस घडी में भारत चीन के साथ खड़ा है, भारत-चीन दोनों देश मिल कर इस संकट का सामना कर रहे हैं। चीन के वू हान में फंसे हजारों भारतीयों को चीन से निकालने के लिए भारत सरकार ने अपना विशेष वायुयान भेजा, चीन सरकार ने वहां फंसे हुए भारतीयों की सहायता के लिए अपना हर संभव सहयोग दिया और परिणामतः हजारों भारतीयों को सकुशल वापस भारत लाया गया, इस घटना से भारत-चीन के मध्य परिपक्व कुटनीतिक सम्बन्ध परिलक्षित होता है। भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना के विमान से पंद्रह टन चित्सीय सामान चीन भेजा जिसमें मास्क, ग्लव्स और अन्य उपयोगी चिकित्सीय सामग्रियां थी। इस वर्ष दोनों देश भारत-चीन राजनितिक सम्बन्ध की 70वीं वर्षगांठ मना रहे है, यह सहयोग भारत के लोगों की चीनी लोगों के प्रति मित्रता प्रगट करने का उदहारण है। भारत-चीन सुख़-दुःख के साथी रहे है, 20वीं शताब्दी का प्रारम्भिक काल दोनों देशों के लिए बहुत ही पीड़ादायक था, उस समय भारत जहाँ ब्रिटिश उपनिवेश था वहीँ चीन अर्ध-उपनिवेश, 1937 में जब चीन पर जापानी आक्रमण हुआ तब भारत से एक चिकित्सा मंडल चीन गया जिसमें डॉ द्वारका प्रसाद कोटनिस भी गए थे, डॉ कोटनिस युद्ध में घायल हुए चीनियों की सेवा करते करते वहीँ मृत्य को प्राप्त हो गए, डॉ कोटनिस का यह बलिदान भारत- चीन सम्बन्ध को अमर कर गया। वर्तमान समय में ही भारत-चीन एक दुसरे के सुख़-दुःख में सहयोगी की भूमिका निभा रहे है, जो दोनों देशों के मैत्री सम्बन्ध के शुभ है।

भारत में भी कोरोना धीरे धीरे अपना पैर पसार रहा है, भारत में कोरोना के 29 मामले पाए गए हैं जिसमें से 16 इटली के नागरिक हैं, तीन भारतीय नागरिक जो संक्रमित थे वे ठीक हो चुके है, भारत सरकार ने 34 प्रयोगशाला तैयार किये है कोरोना की रोकथाम के लिए। चीन में 6 दिन में 1000 बेड वाला अस्पताल बन कर तैयार किया गया है, जहाँ कोरोना से संक्रमित व्यक्तिओं का इलाज़ किया जा रहा है। अब तक ग्यारह से अधिक देशों में यह महामारी फ़ैल चुकी है। निष्कर्षतः हम कह सकते है कि कोरोना वैश्विक महामारी बन चुकी है, पुरे विश्व समाज को मिलजुलकर इस महामारी से लड़ना है, जिसमें पश्चिमी देशों एवं मिडिया का सकारात्मक योगदान अपेक्षित है।

लेखक- विवेक मणि त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफेसर (भारत अध्ययन)
क्वान्ग्तोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, चीन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.