लखनऊ. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि बजट में गरीबों, युवाओं व नौकरीपेशा लोगों के लिए कुछ भी नहीं है। इसमें एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीन लेने की प्रक्रिया अपनाई गई है। वस्तुत: यह भ्रमित करने वाला बजट है। केवल भाजपा नेता ही बजट का गुणगान कर रहे हैं, उन्हें सावन में हरा हरा ही दिखता है लेकिन सच्चाई को बादलों के घटाटोप से छिपाया नहीं जा सकता।
अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्रीय बजट से पेट्रोल व डीजल के दामों में अतिरिक्त सेस लगने से 2.50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी से परिवहन महंगा होगा तो जीवनोपयोगी चीजों के दाम भी बढ़ेंगे। घरेलू बजट असंतुलित होगा। किसान डीजल का सबसे ज्यादा उपयोग करता है उसको आर्थिक नुकसान होगा। नवजवानों को रोजगार देने के नाम पर स्टार्टअप, मुद्रालोन जैसी पुरानी घिसीपिटी योजनाओं की ही चर्चा है। कोई ठोस योजना नहीं है। विदेशी किताबें महंगी कर उसने शोध व शिक्षा क्षेत्र के विकास में बाधा डाली है।
सच तो यह है कि जब भाजपा सरकार के पांच सालों में कुछ नहीं हुआ तो अब कैसे आशा की जा सकती है कि वह अपने वादे निभाने और जनकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। जनता को तुकबंदी, कविता व शायरी से छलावा की नहीं समस्याओं के ठोस विकल्प की जरूरत थी जिसका दूर दूर तक केंद्रीय बजट में संकेत नहीं है।