उत्तर प्रदेश. अब आयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारी जोर शोर से हो रही है. मंदिर के निर्माण में काफी पैसे लगेंगे जिसके लिए लोग चंदे की वसूली की जा रही है. अब इस चंदे को लेकर संतो में आपसी विवाद होने लगे है. जगतगुरु स्वरूपानंद के बनारस मठ के अध्यक्ष अविमुक्तेश्वरानंद ने राम मंदिर में भगवान राम के सिंहासन के लिए स्वर्ण दान की मांग की है. अविमुक्तेश्वरानंद ने लोगों से चंदे के तौर पर 1 ग्राम सोना दान में देने की अपील की है.अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के निर्माण शुरू होने के पहले ही चंदा वसूलने के अलग-अलग तरीकों पर विवाद खड़ा हो गया है. ये विवाद एक बार फिर उन्हीं बड़े संत और मठों के बीच हुआ है, जिनकी पुरानी अदावत राम मंदिर को लेकर रही है. वहीं सरकार ने ऐलान कर रखा है कि जनता के पैसे से राम मंदिर बनेगा और सिवाए नए ट्रस्ट के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति या संगठन मंदिर के नाम पर चंदा नहीं वसूल सकता. चाहे अयोध्या के साधु संत हो या विश्व हिंदू परिषद, सभी ने एक सुर से स्वरूपानंद सरस्वती के मठ के जरिए चंदे के नाम पर सोना दान लेने को गलत करार दिया है.
अयोध्या के महंत और राम जन्म भूमि न्यास के सदस्य कमल नयन दास ने स्वरूपानंद को कांग्रेसी करार देते हुए कहा कि ये लोग चंदे के नाम पर कैसी वसूली करते हैं, ये दुनिया जानती है. वहीं विश्व हिंदू परिषद ने भी कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को ऐसे चंदे उगाहने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह काम उनके जिम्मे नहीं है. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, विश्व हिंदू परिषद के खुले तौर पर विरोधी रहे हैं. नए ट्रस्ट ‘राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र’ में न तो उन्हें जगह दी गई और न ही उन्हें तवज्जो दी गई. ऐसे में बनारस में उनके मठ ने राम मंदिर के लिए अलग से स्वर्ण दान की अपील लोगों से की है. जिसके बाद साधु संतों के साथ-साथ सरकार भी दान मांगने के इस घोषणा के बाद खफा है.