महामारी कोरोना के संक्रमणकाल में आस्था के प्रतीक छठपर्व के आयोजन पर शुरू से ही अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे। आखिरकार पिंपरी चिंचवड मनपा प्रशासन और पुलिस ने कोरोना के कहर को ध्यान में रखते हुए शहर के सभी नदी घाटों, सार्वजनिक स्थलों पर लोक आस्था के महापर्व छठपूजा मनाने की अनुमति देने से मना कर दिया है। घरों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ छठमहापूजा मनाने की अपील प्रशासन की ओर से की गई है।
पुलिस और मनपा प्रशासन की सुुंयुक्त बैठक में निर्णय लिया गया कि, उद्योगनगरी के किसी भी नदी घाट पर छठपूजा मनाने अथवा कार्यक्रम आयोजित करने पर पूर्ण रुप से रोक लगा दी गई है। प्रशासन की ओर से छठव्रती भक्तों से अपील की है कि निर्णय और शासन प्रशासन के गाइडलाइन का पालन करें। इस फैसले से कई सालों की आस्था, विश्वास धार्मिक अधिकारों की परंपरा तार तार हुई। उद्योगनगरी के लाखों छठव्रती भक्तों में घोर निराशा, मायूसी छा गई है।
असल में आस्था का प्रतीक रहा छठ पर्व प्रकृति की गोद में नदियों के किनारे मनाया जाता है। घरों में इसकी पूजा नहीं होती। सूर्यदेवता को नदी के जल से अर्ध्य देकर पूजा करने की परंपरा है। आपको बताते चलें कि लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा बुधवार से नहाय-खाय के साथ शुरु हो चुका है। पिंपरी चिंचवड़ के मोशी घाट, पिंपरी झुलेलाल घाट, चिंचवड विसर्जन घाट,मोरया गोसावी घाट,थेरगांव बोट क्लब घाट,पिंपरी गांव घाट, रहाटणी घाट, देहूरोड, दिघी, गणेश तालाब समेत 17 नदी घाटों पर छठपूजा हर साल मनाया जाता रहा है। मोशी घाट पर विश्व श्रीराम सेना की ओर से आयोजित किये जानेवाली गंगा आरती से तो शहर छठपर्व की रौनक बढ़ जाती है।
छठपर्व पर महापूजा का आयोजन करनेवाले उत्तर भारतीयों के विविध संगठन लगातार इस कोशिश में जुटे रहे कि नियमों के अधीन रहकर पुलिस और मनपा प्रशासन से छठ महापूजा के आयोजन की अनुमति मिल जाय। मगर मनाही के आदेश से व्रतियों के साथ ही इन संगठनों में भी मायूसी छा गई है। वैसे अगर मनपा प्रशासन चाहता तो लाखों छठव्रती महिलाओं की भावनाओं का आदर करते हुए सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द करने व सोशल डिस्टन्टिंग की शर्त पर अनुमति दे सकती थी। मगर प्रशासन छठ के महापूर्व के आरंभ होने की पूर्व संध्या तक गाइडलाइन जारी करते हुए धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड करने का काम किया।