अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन इन दिनों चारों तरफ सुर्खियां बटोंरती नजर आ रही है। सैनेटरी नैपकिन्स और पीरियड्स को लेकर बनाई गई इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जागरुक करना है। फिल्म में अरुणाचलम मुरुगनाथनम की बॉयोपिक दिखाई गयी है कि कैसे मुरुगनाथनम ने अपनी पत्नी की परेशानी देखते हुए सैनेटरी पैड बनाए और महिलाओं को जागरूक किया।
ऐसा ही कुछ झाबुआ जिले के छोटे से गांव आम्बा खोदरा में भी हुआ। यहां पुरुष नहीं, बल्कि तीन महिलायें दो साल से गांव में ही एक पुराने स्कूल के कमरे में सैनेटरी पेड बनाती हैं। ये महिलाएं 8 पैड का एक पैकेट 25 रुपए में गांव की महिलाओं को बेचती हैं। इन पैड्स को बेचने के लिए ये महिलाएं बैठ और ग्राम सभाओं में काउंटर लगाती हैं और उन्हें बेचती हैं।
अब तो उनसे सिर्फ गांव की महिलाएं ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांव की महिलाएं भी पैड खरीदने लगी हैं। दो साल पहले शुरू किए गए इस काम की बात जब इन्होंने परिवार और गांव वालों के बीच रखी, तो पुरुषों ने विरोध किया। इन्होंने पुलिस में शिकायत करने की धमकी दे दी, तो विरोध खत्म हो गया।