NCP नेता अजित पवार को SC से झटका, जांच रोकने वाली याचिका खारिज !

मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार को Supreme Court से बड़ा झटक लगा है। सर्वोच्च अदालत ने को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में जांच समाप्त करने की उनकी याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस से इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए कहा है।

70 लोगों के खिलाफ दर्ज है केस

सोमवार को Supreme Court ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इस परिस्थिति में जांच को नहीं रोका जा सकता। इसके साथ ही Supreme Court ने हाईकोर्ट के एफआईआर दर्ज करने के आदेश को भी बरकरार रखा है। बता दें कि बीते 22 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एनसीपी नेता अजित पवार और 69 अन्य के खिलाफ महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस

मामले में पुलिस ने अजीत पवार के अलावा विजय सिंह मोहिते पाटील, आनंदराव अडसूल, शिवाजी नलावडे समेत बैंकों के तत्कालीन संचालकों, अधिकारियों के खिलाफ धारा 420, 409, 406, 465, 467, 468, 34, 120 (बी) के साथ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है।

क्या है मामला?

घोटाले के संबंध में की गई शिकायत में राकांपा नेता अजित पवार के अलावा राकांपा के हसन मुश्रीफ व कांग्रेस नेता मुधकर चव्हाण के अलावा बैंक के अलग-अलग जिलों में खुली बैंक की शाखों के वरिष्ठ अधिकारियों का समावेश है। ये सभी नेता इस बैंक के संचालक रह चुके है। शिकायत में दावा किया गया है कि 2007 से 2011 के बीच बैंक को करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

मामले को लेकर नाबार्ड व महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से मामले को लेकर दायर की गई रिपोर्ट में बैंक को हुए नुकसान के लिए राकांपा नेता अजित पवार व बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता व उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को काफी नुकसान हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक शक्कर कारखानों को कर्ज देने में बड़े पैमाने पर बैंक की ओर से कर्ज देने में नियमों का उल्लंघन किया गया है। तत्कालीन समय में रांकपा नेता अजित पवार बैंक के निदेशक थे। नाबार्ड की इस रिपोर्ट के बावजूद कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी।

सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने इस मुद्दे को लेकर पहले पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में साल 2015 व 29 जनवरी 2018 को शिकायत की थी। इसके बाद अधिवक्ता एसबी तलेकर के माध्यम से प्रकरण को लेकर एफआईआर दर्ज किए जाने का निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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