लखनऊ. बसपा प्रमुख मायावती ने सपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद पहली बार रविवार को पार्टी मुख्यालय पर हुई अखिल भारतीय स्तर की बैठक में कहा कि चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन नहीं किया।
सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और मतगणना के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनकी पत्नी डिंपल यादव और परिवार के अन्य लोगों के हारने पर अफसोस जताया।
उन्होंने कहा कि 3 जून को जब मैंने दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात कही तब अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन तब भी मुझसे बात नहीं की। उन्होंने कहा कि भितरघात होता रहा और अखिलेश ने भितरघात करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की। अगर यादवों का पूरा वोट गठबंधन को मिलता तो बदायूं, फिरोजाबाद और कन्नौज जैसी सीटें सपा न हारती।
दानिश और मिश्र को दी जिम्मेदारी: मायावती ने नेता लोकसभा कुंवर दानिश अली और नेता राज्यसभा सतीश चंद्र मिश्र को विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए अहम जिम्मेदारी सौंपी है। दोनों नेता यूपी विधानसभा की सुरक्षित सीटों पर भाईचार कमेटियां खड़ी करेंगे।
मोबाइल बाहर रखाया गया: मायावती की बैठक में जाने वाले नेताओं और पदाधिकारियों का मोबाइल बाहर ही रखा लिया गया। इसके पहले भी नेताओं के मोबाइल पहले बाहर रखाए जाते रहे हैं, लेकिन पहली बार सभी नेताओं के फोन रखा लिए गए।
मायावती क्या बोलीं खास-खास
– मुझे ताज कारीडोर में फंसाने में भाजपा के साथ मुलायम सिंह यादव की भी भूमिका थी।
– अखिलेश की सरकार में गैर यादव पिछड़ों के साथ इंसाफ नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने वोट नहीं दिया।
– मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और 23 मई को फोन कर अफसोस जताया।
– सपा ने प्रमोशन में रिजर्वेशन का विरोध किया किया था इसलिए दलितों-पिछड़ों ने उसे वोट नहीं दिया।
– बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रामआसरे कुशवाहा को सपा के नेता राम गोविंद चौधरी ने हरवाया। उन्होंने यादव वोट ट्रांसफर नहीं करवाया और अखिलेश ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।