बिहार : जिस कृषि कानून को नीतीश बाबू ने पहले ही खत्म कर दिया था, उसे हम आज देश से हटा रहे हैं

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
किसानों को शोषण से बचाने का रास्ता बिहार ने दिखाया है. जो काम कभी बिहार ने करके दिखाया था, आज देश उसी रास्ते पर चल पड़ा है. किसानों को नुकसान से बचाने की प्रेरणा देश को बिहार से दी. जिस किसान विरोधी कानून को नीतीश बाबू ने पहले ही बिहार से बाहर का रास्ता दिखाया था, उसी कानून को आज केन्द्र सरकार ने इतिहास बना दिया है. यह प्रतिपादन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया. कोसी रेल सेतु समेत बिहार की 12 रेल परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री लोगों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि एपीएमसी एक्ट के नुकसान को नीतीश कुमार भलीभांति समझते हैं. इसीलिए तो बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद, अपने शुरुआती वर्षों में ही उन्होंने बिहार में इस कानून को हटा दिया था. जो काम कभी बिहार ने करके दिखाया था, आज देश उस रास्ते पर चल पड़ा है. पीएम ने कहा कि कृषि सुधार विधेयक ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है.
किसानों को अपनी उपज बेचने के ज्यादा विकल्प मिलेंगे
इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने में और ज्यादा विकल्प मिलेंगे, और ज्यादा अवसर मिलेंगे. ये विधेयक किसानों के लिए रक्षा कवच बनकर आया है. उन्हें बिचौलियों से मुक्ति दिलाएगी. यही नहीं ये हमारे कॉपरेटिव्स, कृषि उत्पादक संघ और बिहार में चलने वाले जीविका जैसे महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आया है.
कुछ लोग किसानों से झूठ बोल कर भ्रमित कर रहे हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग जो दशकों तक सत्ता में रहे हैं, देश पर राज किया है, वे झूठ बोलकर किसानों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके घोषणा पत्र में इसका वायदा किया गया है, लेकिन हमने किया तो परेशान हो गए. हमारी सरकार किसानों को एमएसपी के माध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.
86 साल बाद रेल से जुड़े निर्मली और सरायगढ़
कोसी रेल महासेतु बनने के बाद निर्मली से सरायगढ़ की दूरी महज 22 किमी में सिमट गई है. इससे पहले इन दोनों जगहों के बीच का रेल सफर करीब 300 किमी का था. इसके लिए दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा आदि से होकर ट्रेन जाती थी. इस तरह 8 घंटे की रेल यात्रा सिर्फ आधे घंटे में ही पूरी हो जाएगी. कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई 1.9 किमी है.
1934 में भूकंप से टूटा था पुल
1887 में ब्रिटिश काल मेंं निर्मली और भपटियाही के बीच कोसी की सहायक तिलयुगा नदी पर 250 फीट लंबा मीटरगेज रेल पुल बना था. 1934 में आए भूकंप में यह पुल ध्वस्त हो गया. 6 जून काे 2003 काे तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी आधारशिला रखी थी. इस माैके पर रेल मंत्री नीतीश कुमार और सीएम राबड़ी देवी भी माैजूद थीं.
3 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बेहतर होगी रेल सेवा
पीएम ने कहा कि आज कोसी महासेतु और किऊल ब्रिज के साथ ही रेल यातायात, बिजलीकरण और रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोजगार पैदा करने वाले प्रोजेक्ट्स का शुभारंभ हुआ है. 3 हज़ार करोड़ के इन प्रोजेक्ट्स से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही, सेवा भी बेहतर होगी.
नीतीश कुमार ने की जमालपुर रेल इंस्टीट्यूट शुरू करने की गुजारिश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमालपुर रेल इंस्टीट्यूट फिर से शुरू करने व इसमें नए ट्रेंड की पढ़ाई का अनुरोध किया. सीएम शुक्रवार को पीएम द्वारा एक दर्जन परियोजनाओं के शुभारंभ पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मुंगेर के जमालपुर में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकेनिकल इंजीनियरिंग था. इसमें छात्रों का सेलेक्शन यूपीएससी के माध्यम से होता था. यह इंस्टीट्यूट बंद हो गया है. इसको फिर से चालू कराया जाए. साथ ही कुछ नए ट्रेड की भी पढ़ाई करवाई जाए. सीएम ने रेल परियोजनाओं के लिए प्रधानमंत्री व रेलमंत्री को बधाई दी. सीएम ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कोसी सेतु और बाढ़ बिजलीघर बनने की कहानी भी विस्तार से बताई.

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