वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती: गृहमंत्री अमित शाह

वाराणसी. गृहमंत्री अमित शाह गुरुवार सुबह वाराणसी पहुंचे। लाल बहादुर शास्‍त्री अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी आगवानी की। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, मछलीशहर सांसद बीपी सरोज व विद्यासागर राय भी मौजूद रहे। अगवानी के बाद हेलीकॉप्टर से सीएम योगी के साथ गृहमंत्री अमित शाह बीएचयू के लिए रवाना हो गए।

गृहमंत्री अमित शाह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के गुप्‍तवंशैक वीर’ स्‍कंदगुप्‍त विक्रमादित्‍य पर आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह को तलवार भेंट की गई तो पूरा सभागार हर-हर महादेव के नारे से गूंज उठा।

गुप्‍तवंशैक वीर’ स्‍कंदगुप्‍त विक्रमादित्‍य पर आयोजित कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि अगर वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति भी इतिहास न बनती, उसे भी हम अंग्रेजों की दृष्टि से देखते। वीर सावरकर ने ही 1857 को पहला स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया।

गृहमंत्री अमित शाह ने सभागार को संबोधित करते हुए कहा कि पं. मदन मोहन मालवीय जी ने जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की तब उनकी सोच जो भी रही हो, लेकिन स्थापना के उसके इतने वर्षों बाद भी ये विश्वविद्यालय हिन्दू संस्कृति को अक्षुण रखने के लिए अडिग खड़ा है और हिंदू संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है। सम्राट स्कन्दगुप्त ने भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषा, भारतीय कला, भारतीय साहित्य, भारतीय शासन प्रणाली, नगर रचना प्रणाली को हमेशा से बचाने को प्रयास किया है। भारत का अभी का स्वरूप और आने वाले स्वरूप के लिए हम सबके मन में जो शांति है, उसके पीछे का कारण ये विश्वविद्यालय ही है। सैकड़ों साल की गुलामी के बाद किसी भी गौरव को पुनः प्रस्थापित करने के लिए कोई व्यक्ति विशेष कुछ नहीं कर सकता, एक विद्यापीठ ही ये कर सकता है।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बीएचयू के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर, विशिष्‍ट वक्‍ता भारत अध्‍ययन केंद्र के शताब्‍दी पीठ आचार्य प्रो. कमलेश दत्‍त त्रिपाठी समेत कई गणमान्य सदस्य मौजूद रहे।

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