हेल्थ डेस्क. सर्दी के मौसम में Depression के रोगियों के बेहद सावधानी बरतने की जरुरत है। जिस तरह मौसम का प्रभाव शरीर पर पड़ता है ठीक उसी तरह Depression के शिकार मरीजों के मन को भी प्रभावित करता है। जिसे Seasonal Affective Disorder (SAD) कहते हैं। यह एक मानसिक रोग है, जो मेलाटोनिन हार्मोंस के सीक्रेशन के कारण होता है। इस मौसम में विशेषज्ञ इस रोग के प्रति सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक, इंसान के ब्रेन में एक मास्टर क्लॉक होती है, जो शरीर के दूसरे अंगों के फंक्शन को नियंत्रित करने का काम करती है। मास्टर क्लॉक का सबसे महत्वपूर्ण स्टीमुलस सूर्य की रोशनी होता है, जो मेलाटोनिन हार्मोंस के सीक्रेशन में मदद करता है।
सर्दियों में दिन छोटे और रातें बड़ी होने से सूर्य की रोशनी कम मिलती है। इसमें Melatonin hormones का प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति में शारीरिक व मानसिक सुस्ती, नीरसता, कमजोरी, उबाऊपन, ध्यान न लगना जैसे भाव महसूस होने लगते हैं। यही हार्मोन सिरोटोनिन पर भी असर डालता है, जिससे उदासी व निराशा जैसी भावनाएं भी पैदा होने लगती हैं। सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर Depression का एक प्रकार है।
ठंडे क्षेत्रों में ज्यादा दिखता है असर
शोध में पाया गया है कि अत्यधिक ठंडे क्षेत्र में इस रोग के होने की आशंका बढ़ जाती है। कनाडा के डेटा में पाया गया है कि सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर सामान्य तौर पर दो फीसद और विंटर ब्लूज 20 फीसद तक होता है। हालांकि, यह समस्या सबको प्रभावित नहीं करती है। साथ ही यह कोई गंभीर या खतरनाक बीमारी नहीं है। इसका इलाज किया जा सकता है। लक्षण दिखने पर इसके प्रति सतर्क होना चाहिए। इसकी शुरुआत 18 से 25 वर्ष में होती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इसका खतरा दो से तीन गुना ज्यादा होता है। इस रोग के माइल्ड फॉर्म को विंटर ब्लूज कहते हैं।
बीमारी के लक्षण
सिरदर्द, सांस फूलना और कमजोरी महसूस होना आदि समस्याएं होती हैं।
ऐसे करें बचाव
रोग यदि माइल्ड है तो विटामिन डी सप्लीमेंट या धूप में रहने से ठीक हो जाता है।
बीमारी मध्यम या गंभीर स्थिति में पहुंचने पर लाइट थेरेपी के जरिये इलाज होता है, जो महंगा होता है। साथ ही ताजी हरी सब्जियों, फल, अंकुरित अनाज आदि भी फायदेमंद होते हैं।