पुणे : पं. दीनदयाल उपाध्याय का अभिवादन कर अजीत पवार ने दिए भाजपा से नजदीकियों के संकेत

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ सत्ता बनाने की कोशिश करनेवाले राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार शुक्रवार को किये गए एक ट्वीट से फिर भाजपा के करीब नजर आए। हालांकि बाद में उन्होंने अपना ट्वीट खुद हटा लिया। मगर इस पूरे वाकये से पवार और भाजपा के बीच की नजदीकियां फिर चर्चा के घेरे में आ गई।
अजीत पवार ने किया था ट्वीट
शुक्रवार को भारतीय जनसंघ के सहसंस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई गई। आज पुणे दौरे पर रहे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने ट्विटर हैंडल से उनकी जयंती पर अभिवादन करनेवाला ट्वीट किया। बस फिर क्या था सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगी और अफवाहों का बाजार फिर गरम हो गया। इसके कुछ देर बाद अजित पवार ने अपना ट्वीट हटा लिया।
बाद में खुद ही हटाया ट्वीट
भाजपा नेताओं द्वारा भारतीय जनसंघ के सहसंस्थापक स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें अभिवादन किया गया। उसी में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा कि, भारतीय जनसंघ के सहसंस्थापक स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में उनकी स्मृतियों को विनम्र अभिवादन। इस ट्वीट पर सियासी गलियारों में हड़कंप मचने के बाद कुछ ही घँटों में पवार ने अपना ट्वीट हटा लिया।
कोरोना और किसानों की समस्याएं हल करना प्राथमिकता
ट्वीट हटाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुणे ने संवाददाताओं को कहा कि, हम अक्सर उन व्यक्तियों के बारे में अच्छा बोलते, लिखते हैं जो इस दुनिया में नहीं हैं। इसी तर्ज पर वह ट्वीट किया गया था। राजनीति में वरिष्ठ नेताओं का आदेश मानना होता है। इसलिए वह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। वैसे भी मेरी प्राथमिकता कोरोना का संकट और किसानों की समस्याओं को हल करना है।
कुछ तो चल रहा है पवार के मन में
अजित पवार के ट्वीट मामले की चर्चा होना लाजिमी है। विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता स्थापना की उठापठक के बीच पवार ने भले तड़के राजभवन में जाकर देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ ग्रहण कर भाजपा के साथ सत्ता स्थापना की। हालांकि बाद में उन्हें घर वापसी करना पड़ा। मगर उसके बाद भी ऐसे कई मौके आये जब वे भाजपा या फडणवीस के करीब नजर आए। उनके पुत्र पार्थ भी लगातार भाजपा के लिए अनुकूल भूमिका लेते आये हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिरकार पवार के मन में चल क्या रहा है?

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