क्राइम डेस्क।। निर्भया गैंगरेप के करीब 7 साल बाद निर्भया के 4 गुनहगारों को आज तमाम कानूनी अड़चनों के खत्म होने पर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. तिहाड़ जेल के फांसी घर में पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को फांसी की सजा दी गई. जब यह मामला सामने आया था तो इसके कुल 6 दोषी पाए गए थे. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि चार को तो फांसी दे दी गई फिर बाकी के दो दोषियों का क्या हुआ और उन्हें क्या सजा मिली?
निर्भया से बस में गैंगरेप के मामले में कोर्ट ने 33 साल के राम सिंह को भी दोषी ठहराया था. इसके बाद राम सिंह ने शर्मिंदगी की वजह से साल 2013 में तिहाड़ जेल में ही आत्महत्या कर ली थी. राम सिंह उस बस का ड्राइवर था जिसमें 6 दोषियों ने निर्भया के साथ दरिंदगी को अंजाम दिया था. वो दिल्ली के रविदास कैंप का रहने वाला था.
वहीं निर्भया गैंगरेप केस में कोर्ट ने 17 साल के एक नाबालिग को भी दोषी पाया था. ऐसा माना जाता है कि निर्भया के साथ सबसे ज्यादा क्रूरता इसी नाबालिग ने की थी लेकिन 18 साल से कम उम्र होने की वजह से उसे फांसी की सजा नहीं दी गई. हालांकि उसे 3 साल बाल सुधार गृह में रखा गया था और सजा खत्म होने के बाद उसे अज्ञात जगह भेज दिया गया ताकि वो सुरक्षित रह सके.
आपको बता दें कि चारों दोषियों के वकील एपी सिंह जब कानूनी हथकंडे से इस बार इन्हें बचाने में नाकाम हो गए तो वो निर्भया और उसकी मां को ही भला बुरा कहने लगे. एपी सिंह दोषियों को बचाने की आखिरी कोशिश को लेकर देर रात सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे लेकिन वो दोषियों को बचाने में नाकाम साबित हुए.
निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को सुबह 5.30 बजे फांसी के फंदे से लटका दिया गया. तमाम कानूनी अड़चनों के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल के फांसी घर में सुबह 5.30 बजे फांसी दी गई.
निर्भया के चारों दोषी पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को फांसी घर में फांसी दी गई. मेरठ से आए पवन जल्लाद ने चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर चढ़ाया.