New Delhi। लोकसभा में भारी विरोध और देशभर में चल रहे प्रदर्शन के बीच मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास हो गया है। सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया। इस विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश करने को लेकर वोटिंग कराई गई। जहां बिल के पक्ष में 293 वोट पड़े तो वहीं इसके खिलाफ 82 वोट पड़े।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं सिखों, बुद्ध, ईसाईयों के साथ पक्षपात किया गया। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है कि इस बिल से मुस्लिम के अधिकार ले ले जाएंगे।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में नागरिक संशोधन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि देश के अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए लाया गया विधेयक है। जबकि, अमित शाह ने कहा कि यह बिल .001 फीसदी भी देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। जबकि, दूसरी तरफ नागरिक संशोधन बिल पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव ने कहा- हम नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ हैं और पार्टी हर कीमत पर इसका विरोध करेगी।
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था। मोदी सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी।