New Delhi। भारत आज देर रात अपने Chandrayaan 2 मिशन के तहत चांद पर विक्रम और प्रज्ञान नामक शोध यान उतार रहा है। यह शोध यान 14 दिनों तक चांद की सतह पर विभिन्न शोध करेगा। वैसे तो चांद पर तीन देश अमेरिका, रूस और चीन कदम रख चुके हैं।
इसरो का दावा है कि भारत चांद के उसे हिस्से पर कदम रखने जा रहा है जहां इससे पहले कोई भी देश नहीं पहुंचा है। Chandrayaan 2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। चांद का यह हिस्सा अभी तक अछूता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई। इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं। यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है। दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म होने के मौजूद होने की संभावनाएं हैं। Chandrayaan 2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा। इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा। इसरो के मुताबिक इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिले।
3 देश ही चांद पर कदम रख पाए हैं
– चांद की सतह पर अब तक सिर्फ तीन देश ही पहुंच पाए हैं। इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं। सोवियत संघ (अब रूस) पहला ऐसा देश था, जिसने पहली बार चांद पर कोई वस्तु पहुंचाई थी। 13 सितंबर, 1959 को रूस ने लूना 2 रॉकेट को चांद पर उतारा था।